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षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१
षड्दर्शन समुच्चय (भावानुवाद - हिन्दी व्याख्या)
भाग-१
-: ग्रंथकार :समर्थ शास्त्रकार शिरोमणी पू.आ.भ.श्री हरिभद्रसूरीश्वरजी महाराजा
: टीकाकार : तार्किकरत्न पू.आ.भ.श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी महाराजा
-: दिव्यकृपा :तपागच्छाधिराज स्व.पू.आ.भ.श्री.वि. रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा सुविशाल गच्छाधिपति स्व.पू.आ.भ.श्री.वि. महोदयसूरीश्वरजी महाराजा गच्छनायक स्व.पू.आ.भ.श्री.वि. हेमभूषणसूरीश्वरजी महाराजा
: मार्गदर्शन : प्रवचन प्रभावक पू.आ.भ.श्री.वि. कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराजा
:: संपादक एवं भावानुवादकार : तपागच्छाधिराज के प्रशिष्यरत्न पू. पंन्यास प्रवर श्री दिव्यकीर्तिविजयजी गणिवर्यश्री के शिष्यरत्न पू. पंन्यास प्रवर श्री पुण्यकीर्तिविजयजी गणिवर्यश्री के शिष्य
___ पू.मु.श्री संयमकीर्ति वि.म.सा.
: प्रकाशक: सन्मार्ग प्रकाशन अहमदाबाद
: प्रचारक : चौखम्बा पब्लीकेशन
न्यू दिल्ली
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