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________________ षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम विषय ५२१ ६७४ ५२२ ५३६ ५५६ क्रम श्लोक नं. प्र. नं. | क्रम विषय श्लोक नं. पृ. नं.. ३४० कार्मग्रंथिक साहित्य ५२० ३५६ जैमिनीयों (मीमांसको) का अनीश्वरवाद ६५५ ३४१ दार्शनिक ग्रंथकलाप ५२१ |३५७ अनीश्वरवाद का विस्तार से निराकरण,, ६५८ ३४२ आकर कोटी के ग्रंथ ५२१ |३५८ दिगंबरो की मान्यता-केवलि को ३४३ विशेष सुझाव कवलाहार का निषेध ३४४परिशिष्ट-५ साक्षीपाठः ५२२ | ३५९ दिगंबर की मान्यता का खंडन तथा - A-1 से 90 केवलि को कवलाहार ग्रहण की सिद्धि ,, ६७६ - B-1 से 100 ३६० तत्त्वो के नाम (४७) ६८१ - C-1 से 100 ५४७ ३६१ नवतत्त्वो का सामान्य स्वरूप (४७) ६८२ - D-1 से 19 ५५३ | ३६२ जीव-अजीव-पुण्यतत्त्व का ३४५परिशिष्ट-६ विस्तार से स्वरुप (४८-४९) ६८३ पारिभाषिकशब्दानुक्रमणी (सार्थ) | ३६३ जीव के अभाव में चार्वाक की युक्तियाँ ,, ६८५ श्लोक १ से ३ ५५६ श्लोक ४ से ११ (बौद्धदर्शनम्) |३६४चार्वाक की मान्यता का विस्तार से ५५६ श्लोक ११ से ३२ (नैयायिकदर्शनम्) ५५८ खंडन-जीव की सिद्धि (४८-४९) ६९२ श्लोक ३३ से ४४ (सांख्यदर्शनम्) ५६२ ३६५ आत्मा प्रत्यक्षगम्य (४८-४९) ६९९ ३४६ परिशिष्ट-७ |३६६ आत्मा अनुमानगम्य (४८-४९) ७०१ ____दार्शनिक-पारिभाषिक शब्द-सूची ५६५ ३६७ आत्मा की आगम-उपमान३४७परिशिष्ट-८ अर्थापत्ति-ग्राह्यता (४८-४९) ७१० व्याख्या की शैली का परिचय ५७३ |३६८ कूटस्थनित्य आत्मा का अभाव (४८-४९) ७११ ३४८ परिशिष्ट-९ संकेत विवरणम् ५८८ |३६९ सांख्यअभिमत अकर्तृत्व में आत्मा ३४९ परिशिष्ट-१० उद्धृतवाक्यानुक्रमणिका ५९१ का अभाव (४८-४९) ७११ ३५० परिशिष्ट-११ मूलश्लोकानुक्रमणिका ५९६ |३७० जडस्वरूप आत्मा का अभाव (४८-४९) ७१२ भाग-२ ३७१ पृथ्वी में जीव की सिद्धि (४८-४९) ७१४ जैनदर्शन - अधिकार-४ ३७२ जल में जीव की सिद्धि (४८-४९) ७१५ - संक्षिप्त विषयसूची ६०५ ३७३ अग्नि में जीव की सिद्धि (४८-४९) ७१८ - विस्तृत विषयानुक्रम ६०६ ३७४ वायु में जीव की सिद्धि (४८-४९) ७२० ३५१ जैनदर्शन के लिंग-वेष और आचार (४४) ६२५ |३७५ वनस्पति में जीव की सिद्धि (४८-४९) ७२१ ३५२ देव का लक्षण (४५-४६) ६२६ |३७६ दोइन्द्रियादि में जीव की सिद्धि (४८-४९) ७२५ ३५३ भगवान के चार अतिशय का सूचन (४५-४६)६२८ |३७७ अजीव का स्वरूप (४८-४९) ७२८ ३५४ ईश्वर का जगत्कर्तृत्व स्थापन (४५-४६) ६३० |३७८ अजीव के पांच भेद (४८-४९) ७२८ ३५५ जगत्कर्तृत्व का विस्तार से खंडन(४५-४६) ६३६ |३७९ कारण के तीन प्रकार (४८-४९) ७२९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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