________________
द्वितयो परिशिष्ट :
( टीकाकारेण निर्दिष्ट-ग्रन्थोद्धरणानां गद्य-पद्यानां नामानुक्रमणिका) आनन्दलहरी - टीका- ६४
अनेकार्थतिलक :- (४) १४, (५८५ अनेकार्थसंग्रह :- (१-२ ) ६, ८, १०, ११, १३, १६, १७, १९, २०, २२, २५, ३५, ३६, ३७, ४०, ४१, ४७, ४९, ६२, ६४, ६७, ६९, ७६, ७९, ८०, ८३, ८९, ९१, ९२, १००, ११३, ११५, ११८, १२०, १२१, १२२, १२७, १२८, १३५, १३५, १३८, १३९, १४६, १४७, १४९, १५५, १५८, १६१, १६२, १६३, १६४
(३) २, ८, १३, १४, १५, २४, २८, २९, ३०, ३२, ३३, ३४, ३६, ४०, ४१, ४२, ४३, ४८, ५४, ५५, ४६, ४८, ४९, ६१, ६६
(४) ५, ७, ११, १२, १३, १७, १८, २३, ४८, ४९, ५०
(५) ३, १४, १९, २०, २५, २७, ३२, ३४, ४३, ४६, ४८, ४९, ५३, ४७, ५८, ६०, ६२, ६५, ६८, ७०, ७४, ७८, ८०, ८३, ८४, ८५, ८६, ९२,९८, १००
अभिधानचिन्तामणिनाममाला - १६३ (३) १८, (४) १४, (५) ६८, ८२, (७) २५, ३०, ४३, ४६ अमरकोष :- ४५, १२७, (३) १७, (४) ५४, (५)
१२, (६) ३४, (७)
अमरकोष - टीका- १०८ अमरकोष-क्षीरस्वामी - टीका - (६) ३४
Jain Education International
उणादिसूत्र - सवृत्ति :- २१, १४७, (३) १०, ३१, (६) ५५, ७८
(६) ४, ११, १५, १६, ३१, ३५, ३८, ४३, ४७, ४९, ५०, ५४, ५८, ६५, ७३, ७६, ७८, ८६, ८७ (७) ६, ८, ९, ११, १२, १३, १४, २१, २२, २४, २५, ३०, ३१, ३३, ३५, ३६, ४१, ४३, ४४, ५४, ४९, ६५, ६८, ७०, ७२, ७३, ७८, ७९
अनेकार्थसंग्रह - टीका ‘अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी' - खण्डप्रशस्तिः- ५
२१, २५, ७३, (३) १६, १८, (४) १८, (५) ८३, १००, (६) ११
उत्तररामचरितम् - (५) १२
एकाक्षरनाममाला (राघवीय) - ५८
कविरहस्यम् - ६१
कातन्त्रचन्द्रिका - ६६
कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका - १९
काव्यप्रकाशः - - ३, ७, २०, (५) ४५, ८२ (६) ३२ काव्यप्रकाश टीका- (५) ३
काव्यालङ्कार- भामहः - ७
काव्यालङ्कार-रुद्रट: :- ३, (३) ४१, (४) २ काव्यालङ्कार - टीका - नमिसाधुः - १६५ काव्यालङ्कारसूत्र-वामन (६) ३२ काशिकावृत्तिविवरणपञ्जिका - जिनेन्द्रबुद्धि: - ४ (५४) किरातार्जुनीयमहाकाव्यम्- (७) ४०, ४१ किराताजुनीयम् टीका - प्रकाशवर्ष :- (७) ४१ क्रियाकलापम् - ५६, ८६, (५) १३ क्रियारत्नसमुच्चय:- (३) ४९
गङ्गाधरसूरि: : - (७) १३, ४२ गौडः-(३) ६०
चण्डिकाचरितमहाकाव्यम् - ५७, (३) १८, (७)
४०
टिप्पणकम् - ३६, (६) ४३
दशरूपकम् - (६) ६२ ध्वन्यालोकः - २१
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org