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प्रकाशकीय
रससिद्ध कवीश्वर श्रीत्रिविक्रमभट्ट प्रणीत दमयन्तीकथाचम्पू का प्रकाशन करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है । प्रस्तुत ग्रंथ में महोपाध्याय श्री गुणविनयगणिकृत सारस्वती वृत्ति भी संमिलित है । इस ग्रन्थ का सम्पादन महोपाध्याय विनयसागरजीने किया है । महोपाध्याय विनयसागरजी संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं के एवं जैन दर्शन तथा साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान् है । उन्होंने कई ग्रंथों का संपादन किया है । प्रस्तुत ग्रंथ का संपादन भी उन्होंने बड़े श्रम से परिपूर्ण किया है । अतः संस्थान उनका आभारी है ।
हमें आशा है कि प्रस्तुत ग्रंथ संस्कृत साहित्य के जिज्ञासुओं को उपयोगी सिद्ध होगा । इस ग्रंथ के प्रकाशन में एवं प्रुफ रीडींग में सहयोग देने वाले सभी का हम आभार मानतें हैं ।
अहमदाबाद
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जितेन्द्र बी. शाह
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