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भूमिका
काव्य-सर्जना / पद्य रचना करना सामान्य जनों का कार्य नहीं है । काव्य-रचना में भी प्रतिभा और पुरुषार्थ का प्रयोग आवश्यक है । मुक्तक काव्य, खण्ड काव्य और काव्यों की रचना करते हुए कवि प्रौढ़ता को प्राप्त हो जाता है और महाकाव्यों की रचना कर महाकवि का विरुद भी प्राप्त कर लेता है। महाकवि बनने में अतिशय प्रतिभा, पूर्व संस्कार और दैवीय वरदान सम्मिलित होते हैं | अतिशय व्यञ्जना के साथ काव्य में चमत्कार महाकवि ही पैदा कर सकता है।
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'गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति' उक्ति को चरितार्थ करते हुए गद्य में लिखना यह पूर्व प्रतिभा काही चमत्कार है। महाकवि सुबन्धु, महाकवि बाणभट्ट, महाकवि दण्डि आदि का इस क्षेत्र में नामोल्लेख उनकी अजरामर कीर्ति को द्योतित करता है । गद्य और पद्य दोनों में साधिकार रचना करना उनके विशिष्ट व्यक्तित्व को देदीप्यमान करता है । उसमें भी सभंग और अभंग श्लोषों का आधार लेकर सहज भाव से सुललित शब्दों में रसास्वाद को अक्षुण्ण रखते हुए रचना करना तो विशिष्ट प्रतिभाशाली का ही कार्य है और माँ भगवती सरस्वती कृपा भी अनिवार्य है । गद्यपद्यमयी साङ्का सोच्छ्वासा चम्पूः काव्यशास्त्रियों द्वारा निर्धारित लक्षणों के अनुसार दमयन्ती कथा चम्पू/नलचम्पू गद्य-पद्य मिश्रित सर्वप्रथम एवं प्राचीन चम्पूकाव्य है। श्लेष प्रधान होते हुए भी महाभारतकालीन नल-दमयन्ती की कथा के कुछ अंशों को सभंगश्लेष युक्त सालंकारिक छटा के साथ हृदयाह्लादक रूप में वर्णन करने का श्रेय रचनाकार रससिद्ध कवीश्वर त्रिविक्रम भट्ट को ही है ।
त्रिविक्रम भट्ट का परिचय
त्रिविक्रम भट्ट चम्पू - काव्य के पथिकृत् महाकवि हैं । कवि ने ग्रन्थारम्भ में अपने गोत्रादि के विषय में जानकारी दी है। तदनुसार ये शाण्डिल्य गोत्र में उत्पन्न हुए थे। इनके पूर्वज यज्ञादि कार्यों का अनुष्ठान करते थे । इस वंश में श्रीधर के पुत्र देवादित्य हुए । उनके पुत्र त्रिविक्रम भट्ट थे। कहीं-कहीं देवादित्य का नाम नेमादित्य भी मिलता है । इतने ही परिचय से कवि के विषय में पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। ये मान्यखेट के राष्ट्रकूटवंशीय कृष्ण द्वितीय के पौत्र, जगत्तुङ्ग के पुत्र इन्द्रराज के सभा - पण्डित थे । इन्द्रराज तृतीय विक्रमी संवत् ९७२ में फाल्गुन शुक्ला सप्तमी को मान्यखेट में अपने राज्याभिषेक उत्सव के लिए कुरुण्डक नामक गाँव को गये । अभिषेक के उपरान्त किये गये सुवर्णतुलादान का ताम्रलेख नवसारी ग्राम में प्राप्त हुआ है। उसके राज्याभिषेक
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