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शरीर की विशेषताएँ परं परं सूक्ष्मम् ||38||
सूत्रार्थ : आगे-आगे का शरीर सूक्ष्म हैं।
विवेचन : उक्त पांचों शरीरों में औदारिक सबसे अधिक स्थूल है। वैक्रिय उससे सूक्ष्म है, आहारक वैक्रिय से भी सूक्ष्म है। आहारक से तैजस और तैजस से कार्मण सूक्ष्म व सूक्ष्मतर हैं।
प्रदेशतो-sसंख्येयगुणं प्राक् तैजसात् ||39||
सूत्रार्थ : प्रदेशों की संख्या की दृष्टि से तैजस से पूर्व के शरीरों का परिमाण असंख्यात गुणा होता हैं।
विवेचन : प्रदेश अर्थात् परमाणु। परमाणुओं से बने जिन स्कन्धों से शरीर बनता है वे ही स्कन्ध शरीर के आरम्भक द्रव्य है। जब तक परमाणु अलग-अलग हो तब तक उनसे शरीर नहीं बनता। परमाणु पुन्ज, जो कि स्कन्ध कहलाते हैं, उनसे ही शरीर बनता है। वे स्कन्ध भी अनंत परमाणुओं के बने हुए होने चाहिए। औदारिक शरीर के आरम्भक स्कन्ध अनंत परमाणुओं के होते हैं और वैक्रिय शरीर के आरम्भक स्कन्ध भी अनंत परमाणुओं के होते हैं, पर वैक्रिय शरीर के स्कन्धगत परमाणुओं की अनंत संख्या औदारिक शरीर के स्कन्धगत परमाणुओं की संख्या से असंख्यात गुणा अधिक होती हैं। यह क्रम आहारक शरीर तक है। अत: औदारिक की अपेक्षा वैक्रिय के प्रदेश असंख्यात गुणे, वैक्रिय से आहारक के प्रदेश असंख्यात गुणे होते हैं।
अनन्त गुणे परे ||4011
सूत्रार्थ : तैजस और कार्मण शरीरों के प्रदेश क्रमशः अनंतगुणा होते हैं। अप्रतिघाते ||41||
सूत्रार्थ : दोनों शरीर अबाध्य (बाधा रहित) होते हैं।
विवेचन : आहारक से तैजस के प्रदेश अनंत गुण अधिक होते हैं तथा तैजस से कार्मण के स्कन्ध परमाणु अनंतगुण अधिक होते हैं। तैजस-कार्मण शरीर की विशेषता
___एक मूर्तिमान द्रव्य का दूसरे मूर्तिमान द्रव्य से रूक जाना या टकराना प्रतिघात कहलाता है। तैजस और कार्मण इन दोनों शरीर का प्रतिघात नहीं होता, इसलिए वे अप्रतिघाती (बाधा रहित) कहलाते हैं। ये दोनों लोक के अन्त तक हर जगह जा सकते हैं और चाहे जहां से निकल सकते हैं। वज्र जैसी कठोर वस्तु भी उन्हें प्रवेश करने से रोक नहीं सकती। साधारणतया यह समझा जाता है