________________
जरायुज
( रक्त और मांस के जाल से लिपटा हुआ पैदा होते हैं)
I
मनुष्य, गाय, भैंस आदि
मनुष्य
औदारिक शरीर
गर्भज
(माता पिता के
रज और वीर्य से)
अण्डज
(अंडे से
पैदा होते
हैं)
|
Bhaiya
मुर्गी, सांप, चिड़ियाँ आदि
नारकी
|
कुम्भी
नियंत्य
जन्म
( नवीन शरीर को धारण करना)
शावर
उपपात
सम्मूर्च्छन
(सभी दिशाओं से
( माता पिता के संयोग
पुद्गल के ग्रहण से ) के बिना सभी ओर से औदारिक पुद्गलों के ग्रहण से)
शरीर के प्रकार
औदारिक- वैक्रिया - SSहारक - तैजस- कार्मणानि शरीराणि ||37 ||
सूत्रार्थ : औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण - ये शरीर के पांच प्रकार है। विवेचन : इस सूत्र में शरीर के पांच प्रकार बताये गये हैं -
वैक्रिय
पोतज
(रक्त और मांस
की जाल के बिना
आवरण पैदा होते हैं)
I
हाथी, सिंह, चूहा आदि
सकता है, जिसमें रक्त, मांस, मज्जा, अस्थि आदि हो, वह औदारिक शरीर है।
b. वैक्रिय शरीर : विक्रिया अर्थात् विविध क्रियाएँ करनेवाला शरीर । जो शरीर कभी छोटा, कभी बड़ा, कभी पतला, कभी मोटा, कभी एक, कभी अनेक आदि रूपों में
a. औदारिक शरीर : उदार अर्थात् स्थूल या प्रधान। स्थूल पुद्गलों से अथवा तीर्थंकरादि की अपेक्षा से प्रधान श्रेष्ठ पुद्गलों से बना हुआ शरीर औदारिक कहा जाता है। जो शरीर सड़न - गलन स्वभाव वाला है, जिसका छेदन - भेदन किया जा
देव
|
पुष्प शय्या
SO49
एकेन्द्रिय से लेकर चउरिन्द्रिय, कुछ तिर्यंच पंचेन्द्रिय, और कुछ अपर्याप्ता मनुष्य
दव
वैक्रियक शरीर
देवागना
नारका