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का नियम नहीं है। मुक्त जीवों में दो भाव होते हैं - क्षायिक और पारिणामिक। संसारी जीवों में कोई तीन भाव वाला, कोई चार अथवा कोई पांच भाव वाला होता है, पर दो भाव वाला कोई नहीं होता।
जीव के असाधारण भाव नाम
औपशमिक । क्षायिक | क्षायोपशमिक | औदयिक | पारिणामिक कर्म का । उपशम
क्षय क्षय और
कर्म-निरपेक्ष
उदय
उपशम
संबंधित मोहनीय घाति कर्म । घाति कर्म | आठों कर्म कर्म उदाहरण
जल में मैल | जल का पूर्ण | जल में कुछ | मलिन जल सामान्य का नीचे बैठना शुद्ध होना । मैल का अभाव
जल और कुछ नीचे
बैठना आत्मा से श्रद्धा और | अशुद्धता गुणों का विभाव रूप | जीवत्व, चारित्र संबंधी । का सर्वथा आंशिक
परिणमन
भव्यत्व, भाव विकास
अभव्यत्व मल दबना होना
होना
क्षय
द्वि-नवा-अष्टादशैकविंशति-त्रि भेदा यथाक्रमम् ||2||
__ सूत्रार्थ : औपशमिक आदि भावों के क्रमश: दो, नौ, अट्ठारह, इक्कीस तथा तीन, इस तरह कुल 53 भेद होते हैं।
विवेचन :
औपशमिक - 2 क्षायिक क्षायोपशमिक - 18
दियिक - 21 पारिणामिक कुल - 53 भेद होते हैं।