________________
परापल्योपमम् ||47||
सूत्रार्थ : ': व्यन्तर देवों की उत्कृष्ट आयु 1 पल्योपम होती है। ज्योतिष्क देवों की स्थिति
ज्योतिष्काणा-मधिकम् ||48||
सूत्रार्थ : ज्योतिष्क (सूर्य, चन्द्र) की उत्कृष्ट सूर्य आयु कुछ अधिक एक पल्योपम है।
ग्रहाणा-मेकम् ||49||
ग्रहों की उत्कृष्ट आयु एक पल्योपम होती है।
नक्षत्राणा - मर्धम् ||50||
नक्षत्रों की आयु आधा पल्योपम (1/2) होती है।
तारकाणां चतुर्भागः ||51||
सूत्रार्थ : तारों की उत्कृष्ट आयु चौथा भाग (1/4) पल्योपम होती है।
जघन्य त्वष्टभागः ||52||
सूत्रार्थ : तारों की जघन्य आयु पल्योपम का आठवाँ भाग (1/8) होती है।
चतुर्भाग: शेषाणाम् ||53||
सूत्रार्थ : शेष ज्योतिष्क देवों की जघन्य आयु पल्योपम का चौथ भाग (1/4) होती है। विवेचन : प्रस्तुत सूत्र 48 से 53 तक ज्योतिष देवों की स्थिति बताई गई है।
ज्योतिषक देवों की आयु
नाम
1. सूर्य
2. चन्द्र
3. ग्रह
4. नक्षत्र
5. तारा
जघन्य आयु
1/4 पल्योपम
1/4 पल्योपम
1/4 पल्योपम
1/4 पल्योपम
1/8 पल्योपम
उत्कृष्ट आयु
1 पल्योपम से कुछ अधिक
1 पल्योपम से कुछ अधिक
1 पल्योपम
ज्योतिष्क
1/2 पल्योपम
1/4 पल्योपम
।। चतुर्थ अध्याय समाप्त ||
104
चन्द्र