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समय देशना - हिन्दी
२७३ बोलने में अच्छा लगता है। निश्चय की भाषा बोलने में अच्छा लगता है। कहने सुनाने में अच्छा लगता है। पर जो अनुभूति लेता है, वह न कहने में अच्छा लगता है, न सुनने में अच्छा लगता है फिर तो जो होता है, सो होता है। द्रव्यश्रुत का पान करते-करते भी शांति है। आपका उपवास है, भीषण गर्मी में आपने एक बूंद पानी नहीं पिया, पर गीला कपड़ा लिए थे, तो शांति महसूस हो रही थी। हाथ में गीला कपड़ा लेने मात्र से सर्वांग में शीतलता महसूस करता है। हे भगवती वाणी ! कर्ण में आने से शीतलता आती है, तो अन्तःकरण में जाने से कितनी शीतलता होगी?
गुण पर्याय का कभी निर्वयव विनाश होता ही नहीं है । जिस दिन विनाश मान लोगे, उस दिन 'तद्भावः परिणामः' सूत्र समाप्त हो जायेगा।
स्मृति पहले (भूत) की होती है कि बाद (भविष्य) की? पहले की होती है । पर इनको कैसे मालूम चल गया, कि हम भगवान बनने वाले है इन्हें स्मृतिज्ञान हो गया क्या ? जातिस्मरण हो गया क्या कि हमें अमुक क्षेत्र में तीर्थंकर बनना है ? ऐसी कोई स्मृति नहीं होती कि आप भविष्य में क्या होने वाले हो । स्मृति ज्ञान भूत का होता है, जातिस्भरण भूत का होता है । भविष्य की तो भविष्यवाणी होती है निमित्तज्ञान होता है। आपने बीस साल पहले क्या किया था, वह कथन याद है पर्याय बदलती तो है, परन्तु पर्याय पर्यायी को छोड़कर परिपूर्ण नष्ट नहीं होती। यदि नष्ट हो गई परिपूर्ण रूप से, फिर यह कौन बता रहा है, यह धारा किसमें आ रही है ? पर्याय-संतति बोल रही है, पर्याय-संतति का विनाश नहीं हो रहा है। पर्याय नष्ट नहीं होती, परिवर्तित होती है । पर्याय नष्ट हो जायेगी, तो प्रत्यभिज्ञान किसमें होगा, धारणा किसमें होगी? ज्ञान-गुण की पर्याय बदल रही कि नहीं? एक तेरा मति-श्रुत ज्ञान केवलज्ञान को प्रदान कर देता है। किसी योगी को मति श्रुत ज्ञान से तत्त्व का बोध हो रहा था। उस योगी को केवलज्ञान हो गया, तो जो मति श्रुत ज्ञान से जान रहा था, उसे कैवल्य से जान पायेगा कि नहीं? हाँ ! उसे जान रहा है कैवल्य से, आपको तो अपने बचपन की बातें भी याद रहती हैं। यह कौन झलका रहा है ? स्मृतिज्ञान है, जो आत्मा में धारणा नाम शक्ति है, वह शक्ति रखे हुए है। आप आज खेतों में यूरिया खाद मिट्टी में देते हैं, तो वह अन्न आपको क्यों बीमार कर रहा है ? क्योंकि अन्न में भी यूरिया खाद का असर होता है।
आज डॉक्टर पूछता है कि आपके परिवार में किसी को कोई बीमारी तो नहीं थी? क्यों पूछता है? क्योंकि जिस वंश में जन्म लिया है, उसके रक्त परमाणु आपमें हैं। आजकल तो ऐसी मशीन बन गई है कि आप अशुभ करके छुपा नहीं सकते। वह भी मालूम चल जाता है, कि वह बच्चा किसका है। जिस कुल में कोई त्यागी हुए हों, उस कुल को वंशानुगत प्रभाव होता है। उच्चकुल उसे कहा जाता है जिस कुल में मुनि दीक्षा हुई हो। जो दीक्षा लेने का पात्र है, वही कुल उच्च कुल है। ऐसा गोम्मटसार-कर्मकाण्ड, तत्त्वार्थ श्लोकवार्तिक में लिखा है। आज आप प्रेक्टिकल में देख रहे हो। नीबू के वृक्ष के पास अनार का वृक्ष लगा दो, तो अनार के दाने भी खट्टे हो जाते हैं । ऋजुसूत्र नय से क्या लोकव्यवहार चल सकता है, परमार्थ चल सकता है क्या ? एक समयवर्ती पर्याय को ग्रहण करने वाले ऋजुसूत्र नय से कोई लोकव्यवहार नहीं चलता। पर्याय को नाश कहते हुए भी ऋजुसूत्र नय का ही विषय बनाइए, लेकिन अभावरूप विषय मत बनाइए । उत्पाद, व्यय का अर्थ द्रव्य की पर्याय का परिणमन है । ये पेन कल दूसरे रंग का था, आज दूसरे रंग का है। परिपूर्ण परिणमन नहीं हुआ। ऐसे ही आप आत्मा के द्रव्य-गुण पर्याय में ग्रहण करना । उत्पाद व्यय ध्रौव्य द्रव्य का लक्षण है व्यय वस्तु का नाश नहीं है, पर्याय का परिणमन है। नाश कर दोगे, तो उत्पाद-व्यय है, किसमें ? असामान्य
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