________________
पडिसिद्धाणं - निषेध किये हुए को।
- करने पर।
करणे
किच्चाणं
अकरणे
अ
- और।
पडिक्कमणे - प्रतिक्रमण ।
-
खामि सव्वजीवे
पडिसिद्धाणं करणे, किच्चाणमकरणे अ पडिक्कमणं । असद्दहणे अ तहा, विवरीअ-परूवणाए अ ||48 ||
शब्दार्थ
-
सव्वे
जीवा
खमंतु
मे
मित्ती
करने योग्य का।
नहीं करने पर।
असद्द
अ
तहा
विवरीअ
क्षमा करता हूँ, खमाता हूँ।
- सब जीवों को।
-
अ
भावार्थ : आगम में निषेध किये हुए स्थूल हिंसादि पाप कार्यों को करने पर और सामायिक, देव पूजा आदि करने योग्य कार्यों को नहीं करने पर जो दोष लगे हों उनको दूर करने के लिये प्रतिक्रमण किया जाता है। तथा जैन तत्त्वों में अश्रद्धा करने पर एवं जैनागम से विरुद्ध प्ररूपणा करने पर जो पाप लगे हों उनको हटाने के लिये प्रतिक्रमण किया जाता है || 48 ||
- सब ।
- जीव, प्राणी ।
-
इसका उत्तर देते हैं कि दोनों को प्रतिक्रमण करना योग्य है क्योंकि मात्र अतिचारों के लिये ही प्रतिक्रमण है ऐसा नहीं । परन्तु उपर्युक्त टिप्पणी नं. 2 में जिन चारों कारणों से प्रतिक्रमण करना बतलाया है इसमें मिथ्यादृष्टि, अविरति सम्यग्दृष्टि, देशविरति तथा सर्वविरति सब आ जाते हैं अतः चाहे अविरति हो चाहे विरति हो सबके लिये प्रतिक्रमण करना आवश्यक है।
( सब जीवों से खमत - खामणा करते हैं)
अश्रद्धा करने पर।
- एवं ।
- तथा।
- विपरीत, आगम से विरुद्ध ।
परुवणाए प्ररूपणा करने पर ।
- और।
-
खामेमि सव्वजीवे, सव्वे जीवा खमंतु मे। मित्ती मे सव्व भूएस, वेरं मज्झ न केणइ ||49 || शब्दार्थ
081 F
मे
- मेरी ।
सव्वभूएस सब प्राणियों के साथ ।
वेरं
- वैर, शत्रुता ।
मज्झ
- मेरा, मेरी ।
न
- नहीं।
केई
- किसी के साथ।
-
क्षमा करो, खमो ।
- मुझे, मुझको ।
- मैत्री ।
भावार्थ : यदि किसी ने मेरा कोई अपराध किया हो तो मैं उसको खमाता (उसे क्षमा करता)
-
www.jainelibrary.org