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3. निर्वेद - निर्वेद का अर्थ है - उदासीनता, वैराग्य, अनासक्ति। जन्म मरणमय समग्र संसार अवस्था
के प्रति उदासीन भाव रखना ।
जाल में फंसे पक्षी
भयमुक्त
एवं प्रसन्न पक्षी
निर्बल
सेवा
याचक
करुणाशील सत्पुरुष
सभी को करुणामय दृष्टि से देखता है।
ट
भाभीत भूखे-प्यासे पशु
5. आस्तिक्य - आस्तिकता का अर्थ है आस्था | जिनेश्वर देव ने जो कुछ भी कहा है, उस पर दृढ़ आस्था रखना, आत्मा-परमात्मा, स्वर्गनरक, पुण्य-पाप, बंध मोक्ष आदि के अस्तित्व को स्वीकार करना आस्तिक्य है।
सम्यक्त्व के पाँच भूषण
प्राणी सेवा
2. संवेग - मोक्ष की सर्वोच्च अभिलाषा, आत्मा की ओर गति ।
भवनिर्वेद
4. अनुकम्पा - किसी प्राणी को दुखी देखकर उसके प्रति दया का भाव होना, उसके दुख को दूर करने के लिए निस्वार्थ प्रवृत्ति करना अनुकम्पा है।
सुखमय भी संसार असार
श्रद्धा
Per102al
दव
शास्त्र
गुरु
जैसे सुन्दर शरीर आभूषणों से अधिक सुन्दर प्रतीत होता है, वैसे ही जिन गुणों के द्वारा सम्यक्त्व विशेष भूषित होता है, सुशोभित होता है वे सम्यक्त्व के भूषण कहे जाते है। शास्त्रकारों ने सम्यक्त्व के पांच भूषण बताये हैं।
1. जिन शासन में कुशलता, 2. प्रभावना, 3. तीर्थसेवा, 4. स्थिरता और 5. भक्ति
1. जिनशासन में कुशलता - धर्म के सिद्धांतों को अच्छी