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सम्यग्दर्शन का स्वरूप
सम्यग्दर्शन अध्यात्म साधना का मूल आधार एवं मुख्य केन्द्र है। यह मुक्तिमहल का प्रथम सोपान है। यह श्रुत और चारित्र धर्म की आधार शिला है। जिस प्रकार उच्च एवं भव्य प्रासाद का निर्माण दृढ आधार शिला रूप मजबत नींव पर ही संभव है, इसी तरह सम्यग्दर्शन की नींव पर ही श्रुत-चारित्र धर्म का भव्य प्रासाद खडा हो सकता है। आत्मा में अनंत गुण है, परन्तु सम्यग्दर्शन गुण को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। सम्यग्दर्शन का इतना अधिक महत्व इसलिए है कि सम्यगदर्शन के सद्भाव में ही सम्यक्ज्ञान और सम्यक्चारित्र उपलब्ध होते है। इसके सद्भाव में ही व्रत, नियम, जप, तप आदि सार्थक हो सकते है। सम्यक् दर्शन के अभाव में समस्तज्ञान और समस्त चारित्र मिथ्या है। जैसे अंक के बिना शून्य की लम्बी पंक्ति बना देने पर भी उसका कोई मूल्य नहीं होता, वैसे ही सम्यक्त्व के बिना ज्ञान और चारित्र का कोई अर्थ नहीं रहता। अगर सम्यक्त्व रूप अंक हो और उसके बाद ज्ञान और चारित्र हो तो प्रत्येक शून्य से दस गुनी कीमत हो जाती है। सम्यग्दर्शन से ही ज्ञान और चारित्र में सम्यक्त्व आता है।
उत्तराध्ययन सूत्र में कहा है - सम्यग्दर्शन के बिना, सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती, सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति के बिना सम्यक्चारित्र की प्राप्ति नहीं होगी। चारित्र REA जिनवचन
ज्ञान के बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती और मोक्ष-प्राप्ति के बिना कर्मजन्य दुखों से
चारित्र छुटकारा नहीं मिलता। इसी तरह सूत्रकृतांग सूत्र में भी स्पष्ट कहा गया है कि व्यक्ति विद्वान है, भाग्यवान् है और पराक्रमी भी है, लेकिन वह यदि असम्यक् है, तो उसके द्वारा किये हुए दान तप, अध्ययन, नियम आदि पुरूषार्थ अशुद्ध होते है और वे कर्मबन्ध के कारण बन जाते है। सम्यग्दर्शन के विभिन्न अर्थ
___ जैन परम्परा में सम्यग्दर्शन, सम्यक्त्व, समकित एवं सम्यक्दृष्टि शब्दों का प्रयोग समान अर्थ में हुआ है। सम्यग्दर्शन में दो शब्द हैं - सम्यक् और दर्शन। दर्शन का अर्थ दृष्टि, देखना, जानना, मान्यता, विश्वास, श्रद्धा करना और निश्चय करना भी है। साथ ही इसका प्रयोग विचारधारा के लिए भी किया जाता है, जैसे वैदिक दर्शन, बौद्धदर्शन, जैन दर्शन आदि। यह अर्थ यहाँ अपेक्षित नहीं है।
सम्यक् शब्द सत्यता, यथार्थता और मोक्षाभिमुखता के लिए प्रयुक्त हुआ है। जो वस्तु जैसी है, जिस रूप में अवस्थित है, स्वयं के पूर्वाग्रह त्याग कर तटस्थता पूर्वक उसको वैसी ही श्रद्धा