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________________ पुष्प, फल, सुगंधित द्रव्यादि पदार्थों का परिमाण से ज्यादा उपभोग परिभोग करने की आलोचना की गई है। ।। 2017 कंदमूळ दूसरी गाथा में सावद्य आहार का त्याग करने वाले को जो अतिचार लगते हैं उनकी आलोचना है। वे अतिचार इस प्रकार है :1. निश्चित किये हुए परिमाण से अधिक सचित्त आहार के भक्षण में 2. सचित्त से लगी हुई अचित्त वस्तु के जैसे वृक्ष से लगे हुए गोंद तथा बीज सहित पके हुए फल का अथवा सचित बीज वाले खजूर, आम आदि के भक्षण में 3. अपक्व आहार के भक्षण में 4. दुपक्व आहार के भक्षण में 5. तथा तुच्छ औषधि-वनस्पतियों के भक्षण में, दिवस संबंधी छोटे-बड़े जो अतिचार ___ लगे हों, उन सबसे मैं निवृत्ति होता हूँ ||21|| __ तीसरी और चौथी गाथा में पन्द्रह कर्मादान जो बहुत सावध होने के कारण श्रावक के लिये त्यागने योग्य हैं उनको त्याग करने के लिए कहा है। SS (2) वन कर्म 1: अंगार कर्म 2. वन कर्म (3) शकट कर्म (क) भाटी कर्म 3. शकट कर्म 4. भाटक कर्म G) स्फोटन कर्म (6) दंतवाणिज्य 5. स्फोटक कर्म 6. दंत वाणिज्य Pe84al
SR No.004054
Book TitleJain Dharm Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2011
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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