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________________ (7) लाक्षा वाणिज्य 7. लाक्षा वाणिज्य - D) रस वाणिज्य लाख आदि का व्यापार 8. रस वाणिज्य - घी, तेल, शहद, मदिरा आदि MANDY रस युक्त चीजों का व्यापार। 9. केश वाणिज्य - बालों व बालों वाले प्राणियों जैसे - मनुष्य, पशु आदि का व्यापार। 10. विष वाणिज्य - जहरीले पदार्थ एवं हिंसक अस्त्र, शस्त्रों का व्यापार जैसे - अफीम, तेजाब आदि। (9) केश वाणिज्य 10 विष वाणिज्य J4 11. यंत्रपीलन कर्म - तेल की धानी मशीन चलाने का धंधा जैसे तिल, सरसों, इक्षु आदि को पीलना। (11) यंत्र पीडनकर्म (22) निलांछन कर्म 12. निर्लान्छन कर्म - जीवों के शरीर को काटने-बींधने का धंधा करना। जैसे - बैलों को, घोड़ों आदि को नपुंसक बनाना। पन कर्म 13. दावाग्निदापन कर्म - जंगल, खेत आदि में आग लगाने का कार्य। 14. सरदहतडाग शोषणता कर्म - सरोवर, नदी, तालाब आदि को सुखाने (A) सर हृद-शोषण कर्म का कार्य। 531 Dainik
SR No.004054
Book TitleJain Dharm Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2011
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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