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पीला
किालना
लाल
9. वर्ण नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव को वर्ण (रंग) की प्राप्ति होती है, उसे वर्ण नाम कर्म कहते हैं। यह पांच प्रकार का है :1. रक्त (लाल) 2. पीत (पीला) 3. कृष्ण (काला) 4. हरा और 5. श्वेत । जिस जीव ने जैसा वर्ण नाम कर्म
बांधा है उसके शरीर का रंग वैसा ही होता है। कोई गोरा होता है तो कोई काला होता है। किसी की चमडी सफेद है तो किसी की काली या पीली
है इसका कारण जीव का वर्ण नाम कर्म हैं। सफेद
10. गंध नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से शरीर में सुगंध अथवा दुर्गंध की प्राप्ति होती है उसे गंध नाम कर्म कहते हैं। यह दो प्रकार का है 1. सुरभि गंध नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर से गुलाब, कस्तुरी, चंदन आदि पदार्थों जैसी खुश्बु आती हो उसे सुरभि गंध नाम कर्म कहते हैं।
2. दुरभि गंध नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर से कीचड, लहसुन, सडे - गले पदार्थों जैसी दुर्गंध आती हो उसे दुरभि गंध
नाम कर्म कहते हैं। राभल्गध
दुरभिगंध 11. रस नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव को शरीर में मधुर, तिक्तादि रसो की प्राप्ति होती है उसे रस नाम कहते हैं। इसके पांच भेद हैं।
1. तिक्त रस नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय होने से जीव का शरीर रस सोठ या काली मिर्च जैसा चरपरा हो, उसे तिक्त रस नाम कर्म कहते हैं।
2. कटु रस नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर का रस चिरायता, नीम जैसा कटु हो उसे कटु रस नाम कर्म कहते हैं ।
3. कषाय रस नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर का रस ऑवला, बहेडा जैसा कसौला हो, वह कषाय रस नाम कर्म हैं।
4. आम्ल रस नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर का रस
नींबु, इमली जैस खटटे पदार्थो जैसा हो उसे आम्ल रस नाम कर्म कहा जाता है।
5. मधुर रस नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर का रस मिश्री आदि मीठे पदार्थ जैसा हो, उसे मधुर रस नाम कर्म कहते हैं। 12. स्पर्श नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में शीत, उष्ण आदि स्पर्श की प्राप्ति हो, उसे स्पर्श नाम कर्म कहते हैं। इसके आठ भेद हैं
तीखा
खट्टा
कावा
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