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14. एक सिद्ध :- एक समय में एक ही मोक्ष जावे जैसे, श्री महावीर स्वामी। 15. अनेक सिद्ध :- एक समय में अनेक मोक्ष जावे, जैसे श्री ऋषभदेव स्वामी। __ इन पंद्रह प्रकार के सिद्धों का निर्वाण सुख, मोक्ष सुख पूर्णतः एक जैसा ही होता है। उसमें किसी तरह का अंतर नहीं
होता। * मोक्ष तत्व के नौ भेद :- नव द्वारों से मोक्ष तत्व की विचारणा
1. सत्पद प्ररुपणा :- कोई भी पद - नाम वाले पदार्थ विश्व में विद्यमान है या नहीं उसका प्रमाण देकर निरुपण करना। जैसे मोक्ष सत् विद्यमान है, उसकी सत्ता अवश्य है। मोक्ष पूर्व में भी था, वर्तमान में भी है और भविष्य में भी रहेगा, अतएव वह सत् है, आकाश कुसुम की तरह असत् नहीं है।
2. द्रव्यद्वार :- कोई भी पदार्थ जगत में कितने है, उसकी संख्या बतानी, जैसे मोक्ष में अनंत सिद्ध जीव है।
3. क्षेत्रद्वार :- कोई भी पदार्थ कितनी जगह में है, वह बताना, जैसे सिद्ध आत्माएं लोक में असंख्यातवें भाग में रहे हुए है। सिद्धशिला के ऊपर एक योजन के अंतिम कोस के छठे भाग में 333धनुष 32 अंगुल प्रमाण क्षेत्र में सिद्ध जीव रहते हैं।
4. स्पर्शनाद्वार :- कोई भी पदार्थ कितने आकाश प्रदेशों को स्पर्श कर रहा है, ऐसा सोचना। जैसे सिद्ध के जीव लोक के असंख्यात भाग को स्पर्श करते हुए रहे हैं। क्षेत्र से कुछ अधिक स्पर्शना होती है।
र:- कोई भी पदार्थ की स्थिति कितने काल तक है वह विचारना। जैसे एक सिद्ध के जीव की अपेक्षा से सादि अनंत और सर्व सिद्धात्माओं की अपेक्षा से अनादि अनंत काल। ____6. अंतरद्वार : - वर्तमान में पदार्थ जिस स्वरुप में है, उसका त्याग करके, दूसरे स्वरुप को धारण करे, उसके बाद पुनः वो ही स्वरुप को धारण कर सके या नहीं, धारण करें तो बीच में कितना अंतर पडे, वह बताना। मोक्ष में अंतर नहीं है, क्योंकि मोक्ष में गये हए जीवों का संसार में आकर वापिस मोक्ष में जाना नहीं होता।
:- कोई भी पदार्थ की संख्या दसरे सजातीया या विजातीय पदार्थों की अपेक्षा से कितने भाग में है या कितने गुण अधिक है, वह सोचना, सर्व जीवों के अनंतवे भाग में मोक्ष के जीव हैं।।
8. भावद्वार :- औपशामिक, क्षायिक आदि पाँच भावों में से वह पदार्थ कौन से भाव में समाविष्ट है, वह बताना। सिद्धात्माओं को क्षायिक और पारिणामिक भाव होता है। क्षायिक भाव में केवलज्ञान और केवलदर्शन और पारिणामिक भाव में जीवत्व होता है।
9. अल्पबहुत्व :- पदार्थ के प्रकारों में परस्पर संख्या का अल्पत्व तथा बहुत्व अर्थात् हीनाधिकपणा बताना। सबसे अल्प नपुंसक सिद्ध होते हैं। उनसे संख्यातगुणा अधिक स्त्री सिद्ध होती है। उनसे संख्यातगुणा अधिक पुरुष सिद्ध होते हैं। एक समय में नपुंसक 10, स्त्री 20 और पुरुष 108 सिद्ध हो सकते हैं। ___* मोक्ष प्राप्ति के उपाय :- मोक्ष प्राप्ति के चार उपाय हैं - ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप। ज्ञान से तत्त्वों की जानकारी और दर्शन से तत्वों पर श्रद्धा होती है। चारित्र से आते हुए कर्मों को रोका जाता है और तप के द्वारा बंधे
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