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2. उपाध्याय :- मुख्य रुप से जिनका कार्य श्रुताभ्यास कराना हैं। आचार्य की अनुज्ञा लेकर साधु साध्वी विनय पूर्वक जिनके पास शास्त्रों का अध्ययन स्वाध्याय करते हैं ।
3. तपस्वी :- महान और उग्र तप करनेवाले
तपस्वी हैं।
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4. स्थविर :- स्थविर का अर्थ सामान्यतया वृद्ध साधु होता है। इनके तीन भेद हैं
A. श्रुत स्थविर :- समवायांग सूत्र तक का अध्ययन जिन्होंने कर लिया हो । जिनकी मुनि
B. दीक्षा स्थविर
दीक्षा को 20 वर्ष हो गये हो।
C. वय स्थविर :- जो साठ वर्ष या
इससे अधिक उम्र के हो गये हो ।
5. शैक्ष :- नव दीक्षित शिक्षा प्राप्त करनेवाला साधु शैक्ष है।
6. ग्लान :- जो रोग आदि से पीडित हो उन्हें ग्लान कहते हैं।
7. कुल :- एक ही दीक्षाचार्य का शिष्य परिवार को कुल कहते हैं।
8. गण :- भिन्न आचार्यों के शिष्य यदि परस्पर समान वांचना वाले हो तो उनका समुदाय गण कहलाता है। 9. संघ :- जिन धर्म के अनुयायी साधु-साध्वी, श्रावक - श्राविकाओं का चतुर्विध समुदाय संघ कहलाता है।
10. साधर्मिक 5:- समान धर्म वाला साधर्मिक है। इन सबकी आहार, पात्र आदि आवश्यक वस्तुओं से भक्ति करना, करवाना, ज्ञानवृद्धि में सहयोग देना, पैर दबाना आदि सभी प्रकार से सुख शाता पहुँचाकर उनकी साधना में सहयोगी बनना वैयावच्च तप है।
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श्रावक
साधु
एलला
साध्वी
श्राविका
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