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* फलों का रस जिसे सोफ्ट ड्रिंक्स कहते हैं, उसमें सेवफल रस, संतरा रस और आम रस आदि में सेव, संतरा या आमफल का अंश भी नहीं रहता है, मात्र शक्कर, पानी, फ्लेवर और रसायन होते हैं। अतः सभी को सावधान होकर आरोग्य के खतरों से बचना चाहिए।
* आईस्क्रीम में प्रयोग किये जानेवाले केमिकल्स और उनके दुष्प्रभाव
1. बेंजील एसीटेट आइस्क्रीम में स्ट्रोबेरी नामक फल का स्वाद आता है। वह आइस्क्रीम में मिलाए गए बेंजी एसीटेट से आता है। यह रसायन नाईट्रेट जैसे तेज तेजाब के साल्वेंट के रुप में प्रयुक्त होता हैं, तेज होने के कारण यह पेट पर कुप्रभाव डालता है। हमें वे पदार्थ रुचिकर लगते हैं जो स्वादिष्ट हों, किंतु उनकी पृष्ठभूमि में कितनी दुःख और पीडाएं निहित हैं, यह जानने के लिए रसायन शास्त्र के रहस्य प्रगट करें तो विदित होगा आईस्क्रीम में भयानक पदार्थों का उपयोग होता है।
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2. एमील एसीटेट :- आइस्क्रीम में केले के स्वाद लाने के लिए इसे प्रयुक्त किया जाता है। वास्तविकता यह है कि हमारे घरों की दीवारों पर लगने वाले आयल पेंट को पतला करने के लिए इसका उपयोग होता है। यहीं पदार्थ आइस्क्रीम बनाने के काम आता है। इसका पाचक रस पर गंभीर प्रभाव पडता है।
3. डिथील ग्लुकोल :- अनेक आइस्कीम वाले यह दावा करते हैं कि वे उसमें अंडा डालते हैं। इससे प्रत्येक अंडे में पंचेन्द्रिय गर्भज जीव की हत्या होती है। अंडे से होनेवाली गंभीर हानियों का वर्णन पहले किया जा चुका है। अंडे की महंगाई के कारण आइस्क्रीम में उसके स्थान पर डिथील ग्लुकोल का मिश्रण किया जाता है, जो अण्डे के स्वाद का आभास पूरा कर देता हैं केक में कुछ लोग अण्डे का और कुछ लोग डिथील ग्लुकोल का उपयोग करते हैं। किसी भी पक्के रंग को दूर करने में यह पदार्थ काम में आता है। इसलिए यह रक्त के लाल कणों पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है और स्वास्थ्य कमजोर करता है।
4. एलडी हाइडसी 17 :- आइस्क्रीम में चेरी नामक फल का स्वाद इस रसायन के मिश्रण का परिणाम है। यह आंतडियों और पेट में फोडा फुन्सी करने वाला है। प्लास्टिक और रबड़ में इसका प्रयोग होता है।
5. इथील एसीटेट :- इसका उद्देश्य अनानास का स्वाद उत्पन्न करना है। कारखानों में इसका उपयोग चमडे और कपड़ों को साफ करने के लिए होता है। इस उद्योग में काम करने वाले व्यक्ति जबसे इथीलएसीटेट की वाष्प के संबंध हुए हैं, तब से उनके फेफडों, हृदय और विशेषतः लीवर की हानि हुई है। अनानास के स्वाद शरबत और अन्य अनेक पदार्थ खाने पीने के काम में आते है जिनके साथ इथील एसीटेट को उदर में स्थान देकर हम अपने आरोग्य को जानबूझकर संकट में डालते हैं।
6. बुट्रालहेड :- आइस्क्रीम में महंगे भाव के सूके मेवों का उपयोग कोई उत्पादक करें तो बिक्री बढ नहीं सकती। अतः काजू, बादाम या पिस्ते की एकाध कतरी डालकर बाद में इनका स्वाद उत्पन्न करने के लिए बुट्रालहेड नामक रसायन को मिला देते हैं। रबर और सिमेन्ट में इसका उपयोग होता है। इससे स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है।
7. पिपरोहाल :- सफेद रंग का वेनीला आइस्क्रीम में पीपरोहाल का उपयोग होता है। यह एक धीमी गति का जहर (स्लो पॉईसन) है। यह रसायन अनेक जन्तुओं का नाशक है। यह पेट में जाते ही आंत को नुकसान पहुंचाता है। चेरी की आइस्क्रीम, स्ट्रोबेरी ग्लेसचेरीझ में ई-202 नाम का रसायन होता है। जो कोचीनील है । जो ईल्ली और कॉकरोच से बनती है । " वेजीटेरियन" नाम देकर फसाया जाता है। इसलिए देश- प्रदेश में, विमान में, होटल रेस्टॉरेन्ट में खाना टालना चाहिए।
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