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________________ आना-जाना, आधी रात तक घुमना फिरना, स्वयं बदमाश न होते हुए भी बदमाशों की संगति करना इत्यादि जो परम्पराएं शास्त्र विरुद्ध है उन्हें ग्रहण न करें, यह सद्ग्रहस्थ का कर्तव्य हैं अन्यथा कलंक आदि की संभावना है। 3.8 गुणों का आदर * पाप भीरू : - दुःख के कारण रुप पाप कर्मों से डरने वाला पापभीरु कहलाता है। * लज्जावान : कार्य करते समय यदि लज्जा का अनुभव हो तो व्यक्ति गलत रास्ते पर जाने से रुक जाता है। सत्कार्य की कभी इच्छा न होने पर भी कभी व्यक्ति शर्म से सत्कार्य प्रवृत्ति में जुड़ जाता है । * सौम्यता : जिसके मुख - मण्डल से शांति झलकती है वह सौम्य कहलाता है। गुणों का असर आकृति पर होता है। जिसके दिल में दया है, सद्भाव है, वाणी में मधुरता है, उसकी मुखाकृति क्रूर नहीं हो सकेती । उसके चेहरे पर शांति और प्रसन्नता झलकती है। चेहरे की निर्दोष मुस्कान और प्रसन्नमुद्रा दूसरों के दिल में भी स्नेह, सद्भाव और सहानुभुति पैदा करती है। अतएव सद्गृहस्थ को सौम्य होना चाहिए। * लोकप्रियता : क सद्गृहस्थ का आचार - व्यवहार इस प्रकार का होना चाहिए जिससे वह जनता को प्रिय और विश्वसनीय लगे । विनय, नम्रता, सेवा, सरलता, शील, सदाचार आदि गुणों के द्वारा वह स्वयं आदरणीय बनता है और अपने धर्म को भी जनता में आदरणीय बनाता है। धर्माधिकार के लिए वह योग्य पात्र होता है। * दीर्घदर्शी : किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम को भलीभांति सोच विचारकर गंभीरतापूर्वक निर्णय लेने वाला सद्गृहस्थ दीर्घदर्शी कहलाता है। * बलाबल का ज्ञाता : सद्गृहस्थ को अपनी अथवा दूसरों की द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की शक्ति जानकर तथा अपनी निर्बलता-सबलता का विचार करके कोई भी कार्य प्रारंभ करना चाहिए। दूसरों की देखा देखी करके शक्ति के बाहर का काम करना दुःखदायी है। व्यापार हो या व्यवसाय, सामाजिक रिवाज हो या कौटुम्बिक आचार हो, सर्वत्र अपनी शक्ति को तोलकर आचरण करना चाहिए। * विशेषज्ञ : सार, असार, कार्य- अकार्य, वाच्य आवाच्च, लाभ-हानी, सुख विवेक करना तथा नए नए आत्महितकारी ज्ञान प्राप्त करना विशेषज्ञता है। 59 Onal & Private Use Only दुःख, स्व और पर आदि का ************** www.jainelibrary.org
SR No.004051
Book TitleJain Dharm Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2011
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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