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________________ 0 बिच्छु पतंगा जिराफ पंचेन्द्रिय स्थलचर नेवला कुत्ता चउरेन्द्रिय टिड्डा Jain Education International भंवरा मक्खी उत्पन्न होने वाले) तथा समूर्च्छिम (माता-पिता के व्हेल संयोग के बिना उत्पन्न) के भेद से 10 भेद मछली होते है। गाय बिच्छु, बगाई, भंवरा, टाटीयां, टिड्डी, मक्खी, डांस, मच्छरों की जाति, कसारी, खडमांकडी, पतंगीये आदि। उक्त दो, तीन, चार, इन्द्रिय वाले जीव "विकलेन्द्रिय" कहे जाते हैं। पंचेन्द्रिय भुजपरिसर्प बंदर - 1. पंचेन्द्रिय जीव जिनको स्पर्श, रस, घ्राण, चक्षु, श्रोत (कान) ये पाँच इन्द्रियाँ होती है। तिर्यंच (पशु-पक्षी) पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के तीन भेद है जलचर - जल में रहने वाले। 2. स्थलचर :- जमीन पर चलने वाले । 3. खेचर - आकाश में उड़ने वाले । व्हेल, 1. जलचर जल में चलनेवाले, जैसे मछली, मेंढक, मगरमच्छ, केकड़ा आदि। उक्त पाँचों के मेंढक गर्भज (गर्भ में - : हाथी 2. छिपकली 2. खेचर जो प्राणी आकाश में उड़ते हैं, जैसे तोता, कोयल, चिड़िया, मोर, मुर्गा, हंस, कबूतर आदि। इनमें रोमज, रोम वाले जैसे मोर, तथा चर्मज, चमडे की पंख वाले चमगादड़ आदि भेद भी है। इनके भी पर्याप्त अपर्याप्त के भेद से 20 भेद हो जाते है। (ख) उरपरिसर्प प्राणी पेट के बल चलते हैं या रेंगते हैं। जैसे सर्प, अजगर : आदि। (ग) भुजपरिसर्प :- जो प्राणी भुजा के बल चलते हैं। जैसे नेवला, बंदर, गिलहरी, छिपकली आदि। चूहा, कछुआ मुर्गा 59 For Personal & Private Use Only स्थलचर के तीन भेद है। (क) चतुष्पद :- चौपाये। जैसे हाथी, घोड़ा, गधा, बैल, गाय, कुत्ता, सिंह आदि । तोता मगर मछली B 本 D तीतर अष्टपाद P चमगादड पंचेन्द्रिय 'जलवर अजगर पंचेन्द्रिय उरपरिसर्प समुद्गक पक्षी पंचेन्द्रिय खेचर चकली है है है है www.jainelibrary.org
SR No.004050
Book TitleJain Dharm Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2010
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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