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________________ उसे पहले वह कष्ट देता और फिर मार देता। इसलिए उधर आने वाले राहगीर दिन में वहां ठहरकर संध्या के समय अन्यत्र चले जाते। भगवान महावीर ग्रामनुग्राम विचरण करते हुए वहां पधारे। संध्या को भंयकर अट्टहास करता हुआ यक्ष भगवान महावीर को भयभीत करने लगा। अट्टहास से जब भगवान महावीर भयभीत नहीं हुए तब वह हाथी का रूप बनाकर उपसर्ग करने लगा। उससे भी भयभीत नहीं हुए तब उसने पिशाच का रूप बनाया। इतना करने पर भी जब वह महावीर को क्षुब्ध न कर सका तो उसने प्रभात काल में सात प्रकार की वेदना सिर, कान, आंख, नाक, दांत, नख और पीठ में उत्पन्न की। साधारण व्यक्ति के लिए एक-एक वेदना भी प्राणलेवा थी किन्तु भगवान उन सबको सहते रहे। आखिर प्रभु को विचलित करने में स्वयं को असमर्थ पाकर यक्ष प्रभु महावीर के चरणो में गिर कर बोला- पूज्य ! मुझे क्षमा करे। उन्होंने व्यंतरगृह में रहने की अनुमति मांगी। लोगों ने कहा- आप यहां रह नहीं सकेंगे। हमारी बस्ती में आप ठहरे। महावीर ने इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि वे जानते थे कि वहां रहने से यक्ष को संबोध प्राप्त होगा। अतः व्यंतरगृह में रहने की अनुमति प्राप्त कर महावीर उसमें गये और एक कोने में ध्यान प्रतिमा में स्थित हो गये । शूलपाणि के द्वारा भगवान को कुछ न्यून चार प्रहर तक अतीव्र परिताप दिया गया। फलतः प्रभात काल में भगवान को मुहूर्त मात्र नींद आ गई। निद्राकाल में महावीर ने दस स्वप्न देखे और जाग गये। महानैमित्तिक उत्पल ने भगवान महावीर की वंदना की और बोला- स्वामिन्! आपने रात्रि के अन्तिम प्रहर में दस स्वप्न देखे, उनका फलादेश इस प्रकार हैं : : - - 1. तालपिशाच आपने ताल-पिशाच को पराजित होते हुए देखा। उसके फलस्वरूप आप शीघ्र ही मोहनीय कर्म का उन्मूलन करेंगे। 2. श्वेत कोयल - आपने श्वेत पंख वाले पुंस्कोकिल को देखा। उसके फलस्वरूप आप शुक्ल ध्यान को प्राप्त होंगे। 3. पंच वर्ण विचित्र कोयल- आपने चित्र-विचित्र पंख वाले पुंस्कोकिल को देखा। उसके फलस्वरूप आप अर्थ रूप द्वादशांगी की प्ररूपणा करेंगे। 4. दामद्विक - उत्पल ने कहा- आपने स्वप्न में दो मालाएं देखी हैं, उनका फल मैं नहीं जानता। महावीर ने कहा- उत्पल ! जिसे तुम नहीं जानते हो, वह यह है- मैं दो प्रकार के धर्म अगारधर्म और अनगार धर्म का प्ररूपण करूंगा। Education International 5. गोवर्ग - आपने श्वेत गोवर्ग देखा है। उसके फलस्वरूप आपके चतुर्विध संघ ( साधु-साध्वी, श्रावकश्राविका ) की स्थापना करेंगे। 6. पद्मसरोवर - आपने चहुं ओर से कुसुमित विशाल पद्मसरोवर देखा है। उसके फलस्वरूप चार प्रकार के देव आपकी सेवा करेंगे। 7. महासागर आपने भुआजों से महासागर को तैरते हुए अपने आपको देखा। उसके फलस्वरूप आप संसार समुद्र को पार पायेंगे। 8. सूर्य - आपने तेज से जाज्वल्यमान सूर्य को देखा। उसके फलस्वरूप आपको शीघ्र ही केवल ज्ञान उत्पन्न 31 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004050
Book TitleJain Dharm Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2010
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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