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21. दव्वपरिवरूवो जो सो कालो हवेइ ववहारो।
परिणामादी लक्खो वट्टणलक्खो य परमट्ठो।।
दव्वपरिवरूवो
4,
सो
कालो
हवेइ
[(दव्व)-(परिवट्ट)- द्रव्य के बदलाव से (रूव) 1/1 वि] (ज) 1/1 सवि (त) 1/1 सवि
वह (काल) 1/1
काल (हव) व 3/1 अक होता है (ववहार) 1/1 [(परिणाम)+ (आदी)] [(परिणाम)-(आदि) 1/1] परिवर्तन आदि (लक्ख) विधिकृ 1/1 अनि पहचानने योग्य [(वट्टण)-(लक्ख) 1/1 वि] परिवर्तन का प्रकाशक अव्यय
परन्तु (परमट्ठ) 1/1
परमार्थ (काल)
ववहारो परिणामादी
व्यवहार
लक्खो
वट्टणलक्खो
परमट्ठो
अन्वय- जो लक्खो दव्वपरिवट्टरूवो परिणामादी सो ववहारो कालो हवेइ य वट्टणलक्खो परमट्ठो।
अर्थ- जो पहिचानने योग्य द्रव्य के बदलाव से युक्त परिवर्तन आदि होता है वह व्यवहार काल (है) परन्तु परिवर्तन का प्रकाशक परमार्थ (काल) (होता है)। (परिवर्तन 'समय' में होता है अतः उसका प्रकाशक काल द्रव्य ही परमार्थ काल है)।
द्रव्यसंग्रह
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