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जीवमजीवं दव्वं जिणवरवसहेण जेण णिद्दिटुं। देविंदविंदवंदं वंदे तं सव्वदा सिरसा।।
जीवमजीवं
दव्वं जिणवरवसहेण
जेण णिविट्ठ देविंदविंदवंद
[(जीव)+ (अजीवं)] जीवं (जीव) 1/1 अजीवं (अजीव) 1/1 वि (दव्व) 1/1 [(जिणवर)(वसह) 3/1] (ज) 3/1 सवि (णिद्दिट्ठ) भूकृ 1/1 अनि [(देविंद)-(विंद)-(वंद) विधिकृ 2/1 अनि (वंदे) व 1/1 सक अनि (त) 2/1 सवि
अव्यय (सिरसा) 3/1 अनि
जीव अजीव द्रव्य जिनवर ऋषभ के द्वारा जिस (जिन) के द्वारा कहा गया है देवेन्द्रों के समूह द्वारा वंदनीय प्रणाम करता हूँ उनको सदा सिर से
सव्वदा
सिरसा
अन्वयं- जेण जिणवरवसहेण जीवमजीवं दव्वं णिद्दिटुं तं देविंदविंदवंदं सव्वदा सिरसा वंदे।
अर्थ- जिन जिनवर (अरिहंत) ऋषभ के द्वारा जीव-अजीव द्रव्य कहा गया है उन देवेन्द्रों के समूह द्वारा वंदनीय (ऋषभदेव) को (मैं) सदा सिर से प्रणाम करता हूँ।
द्रव्यसंग्रह
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