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________________ ८२४ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३ २८. उपदेशमाला (उवएसमाला) : श्री धर्मदास गणी। प्रकाशक : धनजी भाई देवचन्द्र जौहरी, मुम्बई। - विशेषवृत्ति (दोघट्टी टीका) : रत्नप्रभसूरि। २९. ओघनियुक्ति : भद्रबाहु स्वामी। आगमोदय समिति मेहसाना। ई० सन् १९१९ । - वृत्तिकार : द्रोणाचार्य। ३०. कठोपनिषद् : गीता प्रेस गोरखपुर। वि० सं० २०२४। - शांकरभाष्य : श्री शंकराचार्य। ३१. कल्पकौमुदीवृत्ति : श्री शान्तिसागरकृत कल्पसूत्रव्याख्या। श्री ऋषभदेव केशरीमल जैन श्वेताम्बर संस्था, रतलाम। ई० सन् १९३६। . ३२. कल्पनियुक्ति (कल्पसूत्रनियुक्ति) : श्वेताम्बर भद्रबाहु-द्वितीय। मुनि कल्याण विजय जी - कृत 'श्रमण भगवान् महावीर' (पृ. ३३६) में तथा श्री ताटक गुरु जैन ग्रन्थालय उदयपुर (राज.) द्वारा प्रकाशित 'कल्पसूत्र' की श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री-लिखित प्रस्तावना (पृ. १६) एवं परिशिष्ट १ की टिप्पणी क्र.३ में उल्लेख है। ३३. कल्पप्रदीपिकावृत्ति : श्री संघविजयगणिकृत कल्पसूत्रवृत्ति। प्रकाशन : सेठ वाडीलाल चकुभाई देवीशाह पाटक। वि० सं० १९९१ । ३४. कल्पलता व्याख्या : समयसुन्दरगणिकृत कल्पसूत्रव्याख्या। निर्णयसागर मुद्रणयन्त्रालय, मुम्बई। ई० सन् १९३९। ३५. कल्पसमर्थन : (कल्पसूत्रान्तर्गत अधिकार-बोधक)। ऋषभदेव केशरीमल जैन श्वेताम्बर संस्था, रतलाम। वि० सं० १९९४ । ३६. कल्पसूत्र : प्राकृत भारती, जयपुर। ३७. कल्पसूत्र : भाषानुवाद : आर्यारत्न सज्जनश्री। वि० सं० २०३८ । ३८. कसायाहुड (भाग १, ८, १२, १३, १४, १५, १६) : आचार्य गुणधर। भारतवर्षीय दि० __ जैन संघ, चौरासी, मथुरा। ई० सन् १९७४--- । द्वितीय संस्करण। - चूर्णिसूत्र : यतिवृषभाचार्य। - जयधवला टीका : आचार्य वीरसेन। - प्रस्तावना : १. ग्रन्थपरिचय एवं २. ग्रन्थकारपरिचय : सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाश चन्द्र शास्त्री, (पृ. ३-७३) ३. विषयपरिचय : पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य। (पृ. ७३-१०६) ("भूमिका के मुख्य तीन भाग हैं : ग्रन्थ, ग्रन्थकार और विषय-परिचय। इनमें से आदि के दो स्तम्भ पं० कैलाशचन्द्र जी ने लिखे हैं और अन्तिम स्तम्भ पं० महेन्द्रकुमार जी ने लिखा है।" सम्पादकीय वक्तव्य। पृ. १४ ब)। Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004044
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages906
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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