SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 877
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची १. अंगुत्तरनिकायपालि (भाग ३,४) : विहार राजकीय पालि-प्रकाशन मण्डल। ई० सन् १९६०। - भाग ३निपात ६, ७, ८।। - भाग ४) निपात ९, १०, ११। २. अनगारधर्मामृत : पं० आशाधर जी। भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली। ई० सन् १९७७। - ज्ञानदीपिका संस्कृतपञ्जिका (स्वोपज्ञ)। . - सम्पादन-अनुवाद : सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री। ३. अनुयोगद्वारसूत्र : श्री आर्यरक्षित स्थविर। श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान)। - अनुवादक-विवेचक : उपाध्याय श्री केवलमुनि जी। ४. अभिधानचिन्तामणि - नाममाला : आचार्य हेमचन्द्र। प्रकाशक : श्री रांदेररोड जैनसंघ, अडाजण पाटीया, रादेररोड, सूरत। ई० सन् २००३।। ५. अभिधान राजेन्द्र कोष (भाग १ से ७), द्वितीय संस्करण। श्री अभिधान राजेन्द्र कोष प्रकाशन संस्था, अहमदाबाद। ई० सन् १९८६ । ६. अविमारक (नाटक) : महाकवि भास। 'भासनाटकचक्र' चौखम्बा संस्कृत संस्थान, वाराणसी। ई० सन् १९९८ । ७. अष्टपाहुड : आचार्य कुन्दकुन्द। शान्तिवीरनगर, श्री महावीर जी (राजस्थान)। ई० सन् १९६८। - दंसणपाहुड। - चारित्तपाहुड। - सुत्तपाहुड। - बोधपाहुड। - भावपाहुड। - मोक्खपाहुड। - लिंगपाहुड। - सीलपाहुड। Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004044
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages906
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy