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________________ सागरमल (डॉ०) ३, १९७, ६२९ - अभिनन्दनग्रन्थ (देखिये, 'ड') सागारधर्मामृत १४६ साङ्ख्यकारिका ६७८ साटकमात्र (साड़ीमात्र) १०८ साध्वी (आर्यिका) ६४१ सामन्तभद्र (श्वेताम्बर) ५१३, ६०१ सामाचार (समाचार) २२६, २८३ सारसंग्रह ५४५ सावलिपत्तन (दक्षिणापथ) ७६०, ७६२ सिद्धसारस्वत ५८८ सिद्धसेन–द्वितीय (सन्मतिसूत्रकार, दिगम्बर) ५७, ४६९, ४७०, ४८२,, ४९४,४९७,५००-५०३, ५०५,५०६, ५०८,५१५-५३१,५३६,६०३,६११, ६१३, ६१७-६२६ सिद्धसेन-तृतीय (न्यायावतार के कर्ता, श्वे०) ४८२, ५०९, ५३१ सिद्धसेन-प्रथम (कतिपय स्तुतिरूप द्वात्रिं शिकाओं के कर्ता, दिगम्बर) ४८२, ४८६, ५०१, ५०५, ५०७, ५१५, ५३०-५३२ - तीनों सिद्धसेनों के साथ 'दिवाकर' उपनाम का प्रयोग ५१८, ५२१ सिद्धसेन गणी (श्वे० आचार्य) ३३४, ३४४, . ५२८ सिद्धान्त और उनके अध्ययन का अधिकार (लेख-प्रो० हीरालाल जैन/ष.खं/ पु.४/प्रस्ता.) ६०२, ६०६ सिद्धार्थ (क्षुल्लक) ६४२ शब्दविशेष-सूची / ८१७ सिद्धि (इच्छित लौकिक पदार्थ की प्राप्ति) ७४५, ७४८ सिद्धिभक्त (सफलता चाहनेवाला) ७४४ सिद्धिविनिश्चय (अकलंकदेव)४६९,४७०, ४९४, ५३५, ६२०, ६२१ सिन्धुदेश ७५३, ७६१ सीता ६४१ सीतेन्द्र ६४१ सुखलाल संघवी (पं०) ६४, ६५, ७७, २७९, ३३५, ३८१, ४४५, ५०२ ५०८, ५४१-५४६ सुत्तपाहुड ७३, २२४, २२५, २३१, २३२, २४६, ७०९ सुदत्तमुनि ७४५, ७५६ सुदर्शना (राजा रतिवर्धन की रानी) ६४२ सुधर्मा स्वामी ६४६, ६४७, ७१७ सुभद्रिलनगर ७२७ सुरेश सिसोदिया (डॉ०) ५५ सुलिंग २५८ सूत्रकृतांगसूत्र ७६, १५७, २५७, ७८३ सेतवत्थ (श्वेतवस्त्र) संघ ४१६ सेनसंघ (सेनगण) ५१६ सोमदत्त ७५० सोमदत्त-विधुच्चौर-कथानक (बृ.क.को.) ७५३ सोमदेव सूरि (यशस्तिलकचम्पूकार) ६०२, ६०८ सोमशर्म-वारिषेण-कथानक (बृ.क.को.) ७५२ सोलहकल्प २१७ सौत्रान्तिक (एक बौद्ध सम्प्रदाय) ४९५ Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004044
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages906
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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