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________________ कोप्पल (यापनीयों का मुख्य पीठ) ६७६ कौण्डिन्यगोत्रीया (भगवान् महावीर की पत्नी यशोदा, श्वे०) ६६६ क्या नियुक्तिकार भद्रबाहु और स्वामी । समन्तभद्र एक हैं? (लेख-पं० दरबारीलाल जैन कोठिया) ५७७, । ६११ क्या रत्नकरण्डश्रावकाचार स्वामी समन्त- भद्र की कृति नहीं है? (लेख-पं० दरबारीलाल जैन कोठिया) ५५७, ६०५, ६१३ क्राणूर (काणूर) गण (दिगम्बरसंघ) ७६८ क्षतत्राण ६८१ क्षत्रिय ६८१ क्षुल्लक ६३७, ६३८, ७४०, ७४५, ७४६, . ७५४-७५६, ७७५ क्षुल्लकधर्म ७५६ क्षुल्लिका ७४१, ७५६, ७५७ ... क्षौल्लकधर्म ७४६ . ख खण्डलक ब्राह्मण १६० खण्डश्री-कथानक (बृ. क. को.) ७५१, ७५४,७५५ . खमण (क्षपण, क्षपणक) : देखिये 'क्षपण'। खमण (उपवास) प्रायश्चित्त ७६६ ख-वासस् (दिगम्बर) ६३१ खुड्डक, खुड्डग (क्षुल्लक = नवदीक्षित युवा साधु-श्वे०) ७७५ शब्दविशेष-सूची / ७९९ गणी ४५९, ४६० गुणकर्माश्रित वर्णव्यवस्था ६८२ गुणभद्र (आचार्य) ६४७, ६४९ गुणस्थान ७२५ गुणस्थानविकासवाद (वादी) ६९ गुणस्थानसिद्धान्त ६९५ गुरुपरम्परा से प्राप्त दि० जैन आगम : एक इतिहास २३ । गध्रपिच्छ (आचार्य, तत्त्वार्थसूत्रकार) ३७५, ३७८, ३७९, ४१८ गृहस्थ ६३२ गृहस्थ (गृहलिंगी)-मुक्तिनिषेध २९, १२८, २६१, ६३९, ६८९, ७४४, ७५८, ७८३ गृहस्थमुनि (क्षुल्लक) ६३९ गोम्मटसार कर्मकाण्ड २९३ -जीवकाण्ड २९१ -जीवतत्त्वप्रदीपिकाटीका १८७ गोवर्धन (श्रुतकेवली) ७६० गौतम स्वामी ६३५, ६४१, ७७७ चउसरण (चतुःशरण-श्वे० ग्रन्थ) ६९ चक्ररथ चक्रवर्ती (सीता का जीव) ६४२ चतुर्दशपूर्वी, चतुर्दशपूर्वधर (श्रुतकेवली) ४९९, ७६१ चन्द्रनन्दी आचार्य (यापनीय) १७० चन्द्रनन्दी महाप्रकृत्याचार्य (दिगम्बर)१६९ चरण (गुप्ति-समिति) ९७ चरमदेहोत्तमपुरुष ३१९ चरमोत्तमदेह ३१९ चातुर्वर्ण श्रमणसंघ २२९ गजकुमार-कथानक (बृ.क.को.) ७५१,७५८ गणधर (आचार्य) २२९ Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004044
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages906
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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