________________
८३० / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २ १५५. पातञ्जलयोगदर्शन : महर्षि पतञ्जलि। कृष्णदास अकादमी, वाराणसी। ई०
सन् १९९९। - व्यासभाष्य : श्री व्यास। १५६. पात्रकेसरी-स्तोत्र (जिनेन्द्रगुणसंस्तुति) : पात्रकेसरी (पात्रस्वामी)। १५७. पालि-हिन्दी कोश : भदन्त आनन्द कौसल्यायन। राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली
पटना। ई० सन् १९९९। १५८. पुरातन-जैनवाक्य-सूची : पं. जुगलकिशोर मुख्तार। वीरसेवा मन्दिर, सरसावा,
जिला-सहारनपुर (उ० प्र०)। ई० सन् १९५० । १५९. पिण्डनियुक्ति : भद्रबाहुस्वामी। शाह नगीनभाई घेलाभाई जह्वेरी, मुंबई। ई०
सन् १९१८। - मलयगिरीया वृत्ति : आचार्य मलयगिरि। १६०. प्रकरणरत्नाकर (चतुर्थभाग) : प्रकाशक-शा० भीमसिंह माणकनी वती, 'शा०
भाणजी माया, मुंबई। ई० सन् १९१२ । निर्णयसागर प्रेस मुम्बई। १६१. प्रतिक्रमण-ग्रन्थत्रयी : श्री गौतमस्वामी - विरचित। प्रकाशक : आचार्य शान्तिसागर
_ दि० जैन जिनवाणी जीर्णोद्धारक संस्था। वीर संवत् २४७३ । - संस्कृतटीका : प्रभाचन्द्र।
- सम्पादक : पं० मोतीचन्द्र गौतमचन्द्र कोठारी, एम० ए०। १६२. प्रबोधचन्द्रोदय : कृष्ण मिश्र यति। चौखम्बा अमर भारती प्रकाशन, वाराणसी।
ई० सन् १९७७। १६३. प्रमेयकमलमार्तण्ड (द्वितीयभाग) : आचार्य प्रभाचन्द्र। मुद्रक : पाँचूलाल जैन, कमल
प्रिंटर्स मदनगंज-किशनगढ़ (राज.)। वीर नि० सं० २५०७। - अनुवाद : आर्यिका जिनमती जी। १६४. प्रवचनपरीक्षा-पूर्वभाग (स्वोपज्ञवृत्ति-सहित) : उपाध्याय धर्मसागर। ऋषभदेव
केशरीमल श्वेताम्बर संस्था, रतलाम (म.प्र.)। १६५. प्रवचनसार : आचार्य कुन्दकुन्द। परमश्रुत प्रभावक श्रीमद्राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला,
श्रीमद्राजचन्द्र आश्रम, अगास (गुजरात)। ई० सन् १९६४ । - तत्त्वप्रदीपिकावृत्ति : आचार्य अमृतचन्द्र सूरि। - तात्पर्यवृत्ति : आचार्य जयसेन। - बालावबोध भाषाटीका : पाण्डे हेमराज।
- अँगरेजी-प्रस्तावना (Introduction): प्रो० ए० एन० उपाध्ये। १६६. प्रवचनसारोद्धार (उत्तरभाग) : श्री नेमिचन्द्र सूरि। प्रकाशक : सेठ देवचन्द्र लालभाई
जैन पुस्तकोद्धार संस्था, मुंबई। ई० सन् १९२२। निर्णयसागर प्रेस मुम्बई।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org