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१५६ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २
अ०८ / विस्तृत सन्दर्भ
(13) तत्र प्रथमं वीरात् वर्ष ४९२ सुभद्राचार्यात् वर्ष २४ विक्रमजन्मान्तं वर्ष २२ राज्यान्त वर्ष ४ भद्रबाहु जातः ॥ गाथा ॥
सत्तरि चदुसदजुत्तो तिण काला विक्कमो हवइ जम्मो । वाललीला सोडस वासेहि भम्मिए देस ॥ १८ ॥
अठ वरस
मिच्छोवदेससंजुत्तो। सुरपयं लहियं ॥ १९ ॥
सो याँ आचार्या बुद्धि घटती जाणी । क्यौँ ! जत्काल का दोष सेती ॥ तदि भूतवलि मुनि पुष्पदन्त मुनि श्रुतज्ञान सर्व पुस्तका में थाप्यो । मिति जेष्ठ सुदि पञ्चमी के दिन ॥
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परसवासे जज्जं कुति चालीसवरस जिणवरधम्मं पालीय
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