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६३० / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १ १३०. धम्मपद-अट्ठकथा, भाग २ (सुत्तपिटक-खुद्दक निकाय) : नवनालन्दा महाविहार,
नालन्दा। ई० सन् १९७६ । १३१. नन्दीसूत्र : विवेचक-स्व. श्री केवलमुनि जी के शिष्य श्री लालमुनि जी के परिवार
__ के सन्त मुनि श्री पारसकुमार जी (धर्मदास सम्प्रदाय)।
प्रकाशक-अ० भा० साधुमार्गी जैन संस्कृति-रक्षक संघ,
सैलाना (म.प्र.)। ई० सन् १९८४। १३२. नियमसार : आचार्य कुन्दकुन्द। ('कुन्दकुन्द भारती' में संगृहीत)। १३३. निशीथसूत्र (स्वोपज्ञभाष्य सहित) : श्री विसाहगणी महत्तर। (प्रथम विभाग-पीठिका)
सम्पादक : उपाध्याय कवि श्री अमरमुनि तथा मुनि श्री कन्हैयालाल जी 'कमल'। भारतीय विद्या प्रकाशन, दिल्ली।
ई० सन् १९८२। - विशेषचूर्णि : श्री जिनदास महत्तर।
- निशीथ : एक अध्ययन-पं० दलसुख मालवणिया। १३४. नीतिसार (नीतिसार-समुच्चय) : इन्द्रनन्दी। भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत्परिषद् ।
ई० सन् १९९०। १३५. न्यायकुमुदचन्द्र-परिशीलन : प्रो० उदयचन्द्र जैन। प्राच्य श्रमण भारती, मुजफ्फरनगर,
उ.प्र.। ई० सन् २००१ । १३६. न्यायकुसुमाञ्जलि : उदयनाचार्य। १३७. न्यायदीपिका : अभिनव धर्मभूषण यति। प्रकाशक : भारतवर्षीय अनेकान्त
विद्वत्परिषद्। ई० सन् १९९०।। १३८. न्यायमञ्जरी : जयन्त भट्ट। १३९. न्यायावतारवार्तिकवृत्ति : श्री शान्तिसूरि। सम्पादक : पण्डित दलसुख मालवणिया।
प्रकाशक : सरस्वती पुस्तक भण्डार, अहमदाबाद। ई० सन्
२००२। - प्रस्तावना : पं० दलसुख मालवणिया। १४०. पउमचरिउ (भाग १,२,३,४,५) : महाकवि स्वयम्भू। भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन,
नयी दिल्ली। ई० सन् १९८९, १९७७, १९८९, २०००, २००१ । १४१. पउमचरिय : विमलसूरि। १४२. पञ्चतन्त्र-अपरीक्षितकारक : विष्णु शर्मा। रामनारायणलाल बेनीमाधव, इलाहाबाद
२। ई० सन् १९७५। १४३. पंचमहागुरुभक्ति : आचार्य कुन्दकुन्द। ('कुन्दकुन्द भारती' में संगृहीत)। १४४.पंचाशक (पंचाशक-प्रकरण) : आचार्य हरिभद्रसूरि। पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी।
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