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६२८ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १ १०३. तत्त्वार्थसूत्र (सर्वार्थसिद्धि) : भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली। ई० सन् १९९५ । १०४. तत्त्वार्थसूत्र : श्री उमास्वाति वाचक। ऋषभदेव केशरीमल जैन श्वेताम्बर संस्था,
रतलाम। ई० सन् १९९६ । - हारिभद्रीय वृत्ति : श्री हरिभद्रसूरि। १०५. तत्त्वार्थसूत्र (विवेचनसहित) : पं० सुखलाल संघवी। पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोधसंस्थान,
वाराणसी-५। ई० सन् १९९३। १०६. तत्त्वार्थसूत्र (मोक्षशास्त्र) : बृहत्प्रभाचन्द्र। प्रकाशक : समीचीनधर्म-प्रबोध-संरक्षण
___ संस्थान कोटा (राज.)। १०७. तत्त्वार्थसूत्र-जैनागम-समन्वय : उपाध्याय मुनि श्री आत्माराम जी महाराज (पंजाबी)।
प्रकाशक : लाला शादीराम गोकुलचंद जौहरी, चाँदनी चौक,
देहली। ई० सन् १९३४। १०८. तत्त्वार्थाधिगमसूत्र (श्वेताम्बरमान्य तत्त्वार्थसूत्र) : परमश्रुत प्रभावक मण्डल, अगास।
ई० सन् १९९२। - तत्त्वार्थाधिगमभाष्य : उपर्युक्त पर आचार्य उमास्वाति द्वारा रचित भाष्य। १०९. तत्त्वार्थाधिगमसूत्र (स्वोपज्ञभाष्ययुक्त) : श्री उमास्वाति-वाचक। प्रकाशक : जीवनचन्द
साकरचन्द जवेरी, मुंबई एवं सूरत (गुजरात)। प्रथम भाग
ई० सन् १९२६, मुंबई। द्वितीयभाग-ई० सन् १९३० सूरत। - तत्त्वार्थभाष्यवृत्ति : श्री सिद्धासेन गणी। ११०. तर्कभाषा : केशवमिश्र। चौखम्बा संस्कृत संस्थान, वाराणसी। ई० सन् १९७७।
- हिन्दी व्याख्या : आचार्य विश्वेश्वर सिद्धान्तशिरोमणि। १११.तित्थगोलियपयन्नु (अथवा तित्थोगालियपयन्नु = तीर्थोद्गार)। ११२.तिलोयपण्णत्ती (भाग १, २, ३) : आचार्य यतिवृषभ। प्रकाशक : श्री १००८
चन्द्रप्रभ दि० जैन अतिशयक्षेत्र, देहरा-तिजारा (अलवर,
राजस्थान)। ई० सन् १९९७ । - अनुवाद : आर्यिका विशुद्धमति जी। ११३. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा (खण्ड १, २, ३, ४) : डॉ० नेमिचन्द्र
शास्त्री, ज्योतिषाचार्य। द्वितीय संस्करण-आचार्य शान्तिसागर छाणी ग्रन्थमाला, बुढ़ाना (मुजफ्फरनगर) उ० प्र०। ई० सन्
१९९२। ११४. तैत्तिरीय आरण्यक। ११५. त्रिलोकसार : आचार्य नेमिचन्द्र। ११६. थेरीगाथा-अट्ठकथा (सुत्तपिटक-खुद्दकनिकाय) : विपश्यना विशोधन विन्यास,
इगतपुरी।
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