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________________ ६१६ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १ सान्तरमुत्तर (प्रावरणीय) १६३ - सूरत-ताम्रपत्रलेख ५६७ सामगामसुत्त (मज्झिमनिकायपालि, भाग ३) सेतवत्थ (श्वेतवस्त्र) संघ १०७, ११५, २९७, ३१४ सामञफलसुत्त (दीघनिकायपालि, भाग १) सेनान्वय (मूलसंघ) ५६७ ३१५, ३१६, ३१७ सौभाग्यमल (श्वे० मुनि) १६६ सामाचारी शतक (समयसुन्दरगणी) ४६३ सौम्यगुणाश्री (श्वे० साध्वी) २६ साम्प्रदायिक मनोविज्ञान ३९२ सौराष्ट्रदेश ४५६, ४५७, ४६० सायणाचार्य (ऋग्वेद के भाष्यकार) २४५ स्कन्दिल (आर्य) ४२२, ४२३, ४२४, ५८० सारनाथ-लघुस्तम्भलेख ३३७ . Studies In Jaina Art (Dr. U.P. Shah) सालूर (मैसूर)-अभिलेख ५६६ ४०४, ४०७, ४१०, ४११, ४१५ सावलिपत्तन (दक्षिणापथ) ४५६, ४५७ . स्त्रीनिर्वाणप्रकरण (पाल्यकीर्ति शाकटायन) सासणसुरिकहण (शासनदेवीकथन) ३६४ ४ ८५-४८८, ५७५, ५८१ सिताम्बर (श्वेताम्बर) १४९, २९७, २९८, स्त्रीपरीषह १३० ४४६ स्त्रीमुक्ति ४५८, ५७२ सिद्धसेन-द्वितीय (सन्मतिसूत्रकार, दिगम्बर) स्त्रीमुक्तिनिषेध ३८, ५४ (बोटिक शिवभूति १०, १३२ द्वारा), ४९ सिद्धहेमशब्दानुशासन ५२१, ५२२. स्थविरकल्प (दिगम्बर) ८५ सिद्धार्थ (राजा) ३३१. स्थविरकल्प (श्वेताम्बर) १७, ८६, ८७ सिन्धुघाटी १८, ३९५ स्थविरकल्पिक उपकरण (उपधि) ८७, ८९ सिन्धुघाटीय (सिन्धु) सभ्यता ३९४-३९८ स्थविरकल्पिक (कल्पी) साधु (श्वे०) १७, सिन्धुदेश ४५४ ८६-९३, १०१ . सुखलाल संघवी (पं०) २१३ स्थविरकल्पिक साधु (दिगम्बर) ८५ सुत्तपाहुड २२८, २८८, ४७३ स्थानकवासी परम्परा (श्वे०) ३९२ सुत्तपिटक (बौद्धसाहित्य) ३१३ स्थानांगसूत्र १२५, १२६, १६६, १६९, २२७, सुदृष्टि (श्रेष्ठी) ३७४ ३११ सुधर्मा स्वामी ४६३ स्थितिकल्प (दश) १६१ ... सुभद्र आचार्य (दशांगधारी) १३२ स्थूलभद्र (श्वे० आचार्य) ९६, ११०, ४२१, सुभिक्ष ४५७, ४६० ४५९, ४६०, ४६६, ४७७ सुहस्ती (श्वे० आचार्य) ९७ स्थूलवृद्ध (जैनमुनि) ४५३, ४५४, ४५५ स्थूलाचार्य ४६०, ५२० सूत्रकृतांगसूत्र ३३१ . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004042
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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