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________________ विषय इंगिनी मरण पादपोपगमन मरण अधिगत मरण नामक बारहवाँ द्वार सुंदरी नंद की कथा पंडित मरण की महिमा श्रेणी नामक तेहरवाँ प्रतिद्वार - स्वयंभूदत्त की कथा स्वयंभूदत्त की कथा भावना नामक चौदहवाँ प्रतिद्वार एकत्व भावना वाले मुनि की कथा आर्य महागिरि का प्रबन्ध एलकाक्ष नगर का इतिहास गजानपद पर्वत का इतिहास-संलेखना नामक प्रन्द्रहवाँ प्रतिद्वार गंगदत्त की कथा दिशा द्वार आचार्य की योग्यता शिवभद्राचार्य का प्रबंध क्षामणा नामक दूसरा अंतर द्वार आचार्य नयशील सूरि की कथा अनुशास्ति द्वार साध्वी और स्त्री संग से दोष परगण संक्रमण द्वार सुकुमारिका की कथा सुकुमारिका की कथा - सिंह गुफावासी मुनि की कथा प्रवर्तिनी को अनुशास्ति साध्वियों को अनुशास्ति वैयावच्य की महिमा शिष्यों की गुरु प्रति कृतज्ञता परगण संक्रमण विधि सुस्थित गवेषणा द्वार उप-संपदा द्वार परीक्षा द्वार पडिलेहणा द्वार सुस्थित गवेषणा द्वार पडिलेहणा द्वार हरिदत्त मुनि का प्रबंध पडिलेहणा द्वार पृच्छा द्वार - Jain Education International आलोचना विधान द्वार लज्जा से दोष छुपानेवाले ब्राह्मण पुत्र की कथा सूरतेज राज का प्रबंध ममत्व विच्छेदन द्वार पृष्ठ १५२ १५३ १५४ १५५ १५८ १६० १६१ १६३ १६६ १६८ १६९ १७५ १७८ १८० १८१ १८२ १८४ १८७ १८८ १८९ १९० १९१ १९२ १९५ १९६ १९८ २०१ २०२ २०३ २०४ २०७ २०८ २१२ २१९ विषय सूरतेज राजा का प्रबंध- अवंतीनाथ और नरसुंदर की कथा - दूसरा शय्या द्वार दो तोतों की कथा संस्तारक नामक तीसरा द्वार गजसुकुमार की कथा अर्णिका आचार्य की कथा पुत्र नियमक नामक चौथा द्वार दर्शन नामक पाँचवा द्वार हानि नामक छट्टा द्वार पच्चक्खाण नामक सातवाँ द्वार क्षमापना नामक आठवाँ द्वार स्वयं क्षामणा नामक नौवाँ द्वार चंडरुद्राचार्य की कथा अनुशास्ति नामक प्रथम द्वार सासु बहू और पुत्री की कथा मृषावाद द्वार वसु राजा और नारद की कथा समाधि लाभ द्वार मृषावाद द्वार वसु राजा और नारद की कथा - अदत्तादान द्वार श्रावक पुत्र और टोली का दृष्टांत-मैथुन विरमण द्वार मैथुन विरमण द्वार मैथुन विरमण द्वार तीन सखी आदि की कथा - परिग्रह पापस्थानक द्वार लोभानंदी और जिनदास का प्रबंध क्रोध पाप स्थानक द्वार प्रसन्नचंद्र राजर्षि की कथा मान पाप स्थानक द्वार मान पाप स्थानक द्वार - बाहुबली का दृष्टांत माया पाप स्थानक द्वार साध्वी पंडरा आर्या की कथा - दो वणिक पुत्र की कथा लोभ पाप स्थानक द्वार कपिल ब्राह्मण की कथा For Personal & Private Use Only प्रेम पाप स्थानक द्वार प्रेम पाप स्थानक द्वार अहंत्रक की पत्नी और अर्हमित्र की कथा द्वेष पर धर्मरुचि की कथा कलह पाप स्थानक द्वार पृष्ठ २२० २२४ २२६ २२७ २२८ २३० २३२ २३४ २३५ २३६ २३८ २४१ २४४ २४५ २४७ २४८ २४९ २५० २५१ २५२ २५३ २५४ २५५ २५६ २५७ २५८ २५९ २६० २६१ ix www.jainelibrary.org
SR No.004037
Book TitleSamveg Rangshala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti Bhinmal
Publication Year
Total Pages436
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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