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________________ अध्याय-४ ४५ वि०सं०११८०/ई०स०११२४ में नाभेयनेमिकाव्य के कर्ता आचार्य हेमचन्द्रसूरि भी इसी गच्छ के थे।२९ इनके गुरु का नाम अजितदेवसूरि था जो मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य थे। मुनिचन्द्रसूरि अजितदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि (वि०सं० ११८०/ई०स० ११२४ में नाभेयनेमिकाव्य के कर्ता) सुप्रसिद्ध विद्वान् मुनि जिनविजय जी ने स्वसम्पादित कुमारपालप्रतिबोध (रचनाकार बृहद्गच्छीय सोमप्रभसूरि; रचनाकाल वि०सं० १२४१/ई०स० ११८५) की प्रस्तावना३० में हेमचन्द्रसूरि को सोमप्रभसूरि का गुरुभ्राता तथा विजयसिंहसूरि का शिष्य एवं अजितदेवसूरि का प्रशिष्य बतलाया है - मुनिचन्द्रसूरि अजितदेवसूरि विजयसिंहसूरि हेमचन्द्रसूरि सोमप्रभसूरि (वि०सं० ११८०/ई०स० ११२४ (वि०सं० १२४१/ई०स०११८५ में नाभेयनेमिकाव्य के रचनाकार) कुमारपालप्रतिबोध के कर्ता) नाभेयनेमिकाव्य की प्रशस्ति के आधार पर पं० लालचन्द भगवानदास गांधी ने हेमचन्द्रसूरि को कुमारपालप्रतिबोध के कर्ता सोमप्रभसूरि का गुरुभ्राता नहीं उनके गुरु विजयसिंहसूरि का गुरुभ्राता बतलाया है३१ : मुनिचन्द्रसूरि अजितदेवसूरि विजयसिंहसूरि हेमचन्द्रसूरि (वि०सं० ११८० में नाभेयनेमिकाव्य के कर्ता) सोमप्रभसूरि (वि०सं० १२४१ में कुमारपालप्रतिबोध के कर्ता) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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