________________ Samjaulsageandebara 60 daarulemand निर्ग्रन्थ दर्शन के श्वेताम्बर सम्प्रदाय के अन्तर्गत चन्द्रकुल से अस्तित्व में आये प्राचीनतम गच्छों में बृहद्गच्छ या वडगच्छ भी एक है / इस गच्छ की मान्यतानुसार चन्द्रकुल के आचार्य उद्योतनसूरि ने अर्बुदगिरि की तलहटी में स्थित धर्माण (वरमाण) सन्निवेश में वटवृक्ष के नीचे श्री सर्वदेव सहित आठ मुनिजनों को एक साथ आचार्य पद प्रदान किया, जिससे उनकी शिष्यसंतति बडगच्छीय कहलायी / वटवृक्ष की भांति इस गच्छ की अनेक शाखायेंप्रशाखायें हुईं, अतः इसका एक नाम बृहद्गच्छ भी प्रचलित हुआ। KIRIT GRAPHICS : 079-25330095