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________________ अध्याय-७ १९७ विद्याचन्द्रसूरि (वि०सं० १५९६-१६२४) ३ प्रतिमालेख अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित उक्त दोनों तालिकाओं में परस्पर समायोजन सम्भव नहीं होता, किन्तु द्वितीय तालिका के अभयचन्द्रसूरि, रामचन्द्र, विजयचन्द्रसूरि, उदयचन्द्रसूरि आदि मुनिजनों के नाम सार्धपूर्णिमागच्छ के साहित्यिक साक्ष्यों में भी आ चुके हैं, इस प्रकार साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के मुनिजनों के गुरु-शिष्य परम्परा की एक बड़ी तालिका निर्मित होती है, जो इस प्रकार है : तालिका-३ साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित सार्धपूर्णिमागच्छ के मुनिजनों का विद्यावंशवृक्ष अभयचन्द्रसूरि (वि०सं० १४२४-१४६६) प्रतिमालेख वि०सं० १४१२ में लिखित शांतिनाथचरित में उल्लिखित रामचन्द्रसूरि (वि०सं० १४९३) १ प्रतिमालेख वि०सं० १४५३ में इनके पठनार्थ न्यायावतारवृत्ति की प्रतिलिपि की गयी वि०सं० १४९० में विक्रमचरित के रचनाकार पुण्यचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रगणि (वि०सं० १५०४-२४) (वि०सं० १४८६ के ५ प्रतिमालेख प्रतिमालेख में उल्लिखित) शीलचन्द्रसूरि जयसार विनयरत्नसूरि चन्द्रसूरि (वि०सं०१५२१) १ प्रतिमालेख विजयचन्द्रसूरि जयसिंहसूरि (वि०सं०१५०४ में लिखित सम्यक्त्वरत्नमहोदधि (वि०सं०१५१३-१५२८) ३ प्रतिमालेख की प्रशस्ति में उल्लिखित) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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