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________________ १७८ बृहद्गच्छ का इतिहास प्रशस्तियों की उक्त सूची में उल्लिखित मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्धों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है :१. जयसिंहसूरि के पट्टधर जयप्रभसूरि २. जयप्रभसूरि के पट्टधर यशस्तिलकसूरि, भुवनप्रभसूरि और जयमेरुसूरि ३. भुवनप्रभसूरि के पट्टधर कमलप्रभसूरि, मुनि राजसुन्दरसूरि, मुनिरत्नमेरुसूरि, कमलसंयमसूरि और वीरकलशसूरि ४. कमलप्रभसूरि के पट्टधर राजमाणिक्य और पुण्यप्रभसूरि पुण्यप्रभसूरि के पट्टधर विद्याप्रभसूरि ६. विद्याप्रभसूरि के पट्टधर ललितप्रभसूरि ललितप्रभसूरि के पट्टधर विनयप्रभसूरि विनयप्रभसूरि के पट्टधर कीर्तिरत्नसूरि, मुनि हेमराजसूरि और महिमाप्रभसूरि ९. महिमाप्रभसूरि के पट्टधर मुनि सहजरत्न, भावप्रभसूरि, भावरत्नसूरि और मुनिलाल १०. भावप्रभसूरि के पट्टधर भावरत्नसूरि । उक्त विवरण के आधार पर इन मुनिजनों के गुरु-शिष्य परम्परा की एक तालिका अथवा विद्या वंशवृक्ष तैयार होता है, जो इस प्रकार है – द्रष्टव्य-तालिका क्रमांक १ जसरि और महिमा भारत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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