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प्रतिलिपिकार
सन्दर्भ ग्रन्थ
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वही, क्रमांक ३७८३, पृ० २१६-२१७.
क्र० | संवत् | तिथि/मिति | ग्रन्थ का नाम | मूल प्रशस्ति/ | प्रशस्तिगत आचार्य
प्रतिलेखन प्रशस्ति | मुनि का नाम २७. १६२४ | चैत्र सुदि ५ | त्रिषष्टिशलाकापुरुष- | प्रतिलेखनप्रशस्ति | भुवनप्रभसूरि के शिष्य शनिवार चरित एवं परिशिष्टपर्व
पुण्यप्रभसूरि के पट्टधर
विद्याप्रभसूरि २८. १६५० | कार्तिक सुदि ५ | तत्त्वचिन्तामणि प्रतिलेखन की विद्याप्रभसूरि के शिष्य
दाता प्रशस्ति ललितप्रभसूरि २९. १६५४ | आषाढ़ सुदि १३| पंचवस्तुकवृत्ति प्रतिलेखन की ललितप्रभसूरि शुक्रवार
दाता प्रशस्ति ३०. १६७५ | आषाढ़ सुदि १३| कल्पसूत्रान्तर्वाच्य प्रतिलेखन की ललितप्रभसूरि गुरुवार
दाता प्रशस्ति ३१.|१६७७ | आश्विन वदि ३/ कल्पान्तरवाच्य प्रतिलेखन की | ललितप्रभसूरि
टिप्पनक
दाता प्रशस्ति ३२. |१६९८ | ...वदि १० भगवतीबीजक प्रतिलेखनप्रशस्ति | ललितप्रभसूरि के
पट्टधर विनयसूरि के पट्टधर
मुनिहेमराज |३३. १७०१ | आश्विन १० शब्दशोभा । प्रतिलेखनप्रशस्ति | विनयप्रभसूरि
मंगलवार
वही, क्रमांक ९५, पृ० १०. वही, क्रमांक २३६२, पृ० १२१. वही, क्रमांक ६९१,
पृ० ५९. वाचक गुणजी | वही, क्रमांक ७००,
पृ० ६१.
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बुधवार
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वही, क्रमांक २८०, पृ० २७.
वही, क्रमांक ५९५१, पृ० ३७४-७५.
३४. १७१४ | ज्येष्ठ वदि १३ | उत्तराध्ययनसूत्र की |
शुक्रवार संस्कृत छाया
प्रतिलेखन की दाता प्रशस्ति
| विनयप्रभसूरि के शिष्य | विनयप्रभसूरि मुनिकीर्तिरत्न
वही, क्रमांक ९९८, पृ० ८१.
बृहद्गच्छ का इतिहास
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