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Jain Edule of Internat
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शिष्य वीरकलश
पृ० ११०. | संवत | तिथि/मिति | ग्रन्थ का नाम | मूल प्रशस्ति/ | प्रशस्तिगत आचार्य प्रतिलिपिकार
सन्दर्भ ग्रन्थ प्रतिलेखन प्रशस्ति मुनि का नाम १०. | १५५५ | भाद्रपद सुदि ९ | चतुःशरणअवचूरि प्रतिलेखनप्रशस्ति
जयप्रभसूरि वही, क्रमांक ४६४, पृ० ४३. | मार्गशीर्ष वदि ४ | पाक्षिकसूत्रअवचूरि प्रतिलेखनप्रशस्ति भुवनप्रभसूरि एवं उनके | मुनिरत्नमेरु वही, क्रमांक९५१, रविवार
शिष्य मुनि रत्नमेरु
पृ० ७८. १२.| १५६५ भाद्रपद वदि ४| प्रज्ञापनासूत्र प्रतिलेखन की भुवनप्रभसूरि
वही, क्रमांक ३८८, रविवार दाता प्रशस्ति
पृ० ३५. १३.|१५६६ | श्रावण प्रतिपदा | भगवतीसूत्रवृत्ति प्रतिलेखन की भुवनप्रभसूरि
वही, क्रमांक २६६, दाता प्रशस्ति
पृ० २५. १५६६ | कार्तिक वदि ४ | प्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति प्रतिलेखनप्रशस्ति भुवनप्रभसूरि एवं उनके| मुनि राजसुन्दर | वही, क्रमांक ८००, बुधवार
शिष्य मुनि राजसुन्दर |
पृ० ७१. |१५७४ | ज्येष्ठ वदि ९ वत्सकुमारकथा
प्रतिलेखनप्रशस्ति | भुवनप्रभसूरि एवं उनके राजमाणिक्य । वही, क्रमांक ४८७७, शिष्य कमलप्रभसूरि
पृ० ३०७. एवं उनके शिष्य राजमाणिक्य
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१६. १५७४ | चैत्र सुदि १३ | आदिनाथमहाकाव्य | प्रतिलेखनप्रशस्ति | जयप्रभसूरि के शिष्य | मुनिरत्नमेरु | वही, क्रमांक ४७४८, बुधवार
भुवनप्रभसूरि एवं
पृ० २७२.
शिष्य मुनिरत्नमेरु १७. १५७५ | ज्येष्ठ वदि ४ | कृतकर्मनृपचरित्र | प्रतिलेखनप्रशस्ति | कमलप्रभसूरि एवं उनके | राजमाणिक्य | पूर्वोक्त, क्रमांक ३८९१, गुरुवार
शिष्य राजमाणिक्य
पृ० २२४. १८. १५८८ | तिथिविहीन | प्रमाणमंजरी प्रतिलेखनप्रशस्ति | जय
| जयसिंहसूरि एवं उनके | यशस्तिलकसूरि | वही, क्रमांक १४४,
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बृहद्गच्छ का इतिहास