SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 166
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ | पूर्णिमागच्छ का इतिहास | मध्ययुग में श्वेताम्बर श्रमण संघ का विभिन्न गच्छों और उपगच्छों के रूप में विभाजन एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण घटना है। श्वेताम्बर श्रमण संघ की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण शाखा चन्द्रकुल से उद्भूत बृहद्गच्छ का विभिन्न कारणों से समय-समय पर विभाजन होता रहा, परिणामस्वरूप अनेक नये-नये गच्छों का प्रादुर्भाव हुआ, इनमें पूर्णिमागच्छ भी एक है। पाक्षिकपर्व पूर्णिमा को मनायी जाये या चतुर्दशी को? इस प्रश्न पर पूर्णिमा का पक्ष ग्रहण करने वाले बृहद्गच्छ के मुनिगण पूर्णिमापक्षीय या पूर्णिमागच्छीय कहलाये। वि०सं० ११४९/ ई० सन् १०९३ अथवा वि०सं० ११५९/ ई० सन् ११०३ में इस गच्छ का आविर्भाव माना जाता है। चन्द्रकुल के बृहद्गच्छीय आचार्य जयसिंहसूरि के शिष्य चन्द्रप्रभसूरि इस गच्छ के प्रथम आचार्य माने जाते हैं। इस गच्छ में धर्मघोषसूरि, देवसूरि, चक्रेश्वरसूरि, समुद्रघोषसूरि, विमलगणि, देवभद्रसूरि, तिलकाचार्य, मुनिरत्नसूरि, कमलप्रभसूरि आदि तेजस्वी विद्वान् एक प्रभावक आचार्य हुए हैं। इस गच्छ के पूनमियागच्छ, राकापक्ष आदि नाम भी बाद में प्रचलित हुए। इस गच्छ से कई शाखायें उद्भूत हुईं, जैसे प्रधानशाखा या ढंढेरिया शाखा, साधुपूर्णिमा या सार्धपूर्णिमाशाखा, कच्छोलीवालशाखा, भीमपल्लीयाशाखा, वटपद्रीयाशाखा, वोरसिद्धीयाशाखा, भृगुकच्छीयाशाखा, छापरियाशाखा आदि। ___पूर्णिमागच्छ के इतिहास के अध्ययन के लिए सद्भाग्य से हमें विपुल परिमाण में साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध हैं। साहित्यिक साक्ष्यों के अन्तर्गत इस गच्छ के मुनिजनों द्वारा लिखित ग्रन्थों की प्रशस्तियाँ, गच्छ के विद्यानुरागी मुनिजनों की प्रेरणा से प्रतिलिपि करायी गयी महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की प्रतिलिपि की प्रशस्तियाँ तथा पट्टावलियाँ प्रमुख हैं। अभिलेखीय साक्ष्यों के अन्तर्गत इस गच्छ के मुनिजनों की प्रेरणा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy