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अध्याय-७
१५३ पद्मावतीहरणरास (रचनाकाल वि०सं०१५८४/ई०सन् १५२८) के रचनाकार पिप्पलगच्छीय नरशेखरसूरि१९ और उनके गुरु शांति (प्रभ) सूरि के बारे में भी कही जा सकती है। इस प्रकार साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर पिप्पलगच्छ की तालध्वजीयाशाखा के मुनिजनों की गुरु-परम्परा की जो तालिका निर्मित होती है, वह निम्नानुसार है :
शांतिसूरि
गुणरत्नसूरि
आनन्दमेरु (वि०सं०१५१३ में कालकसूरिभास तथा कल्पसूत्रआख्यान के रचनाकार)
गुणसागरसूरि (वि०सं०१५१७-१५४६)
प्रतिमालेख
शांतिप्रभसूरि (वि०सं०१५५४-१५५१)
प्रतिमालेख
नरशेखरसूरि (वि०सं०१५८४ में
पार्श्वनाथपत्नीपद्मावतीहरणरास के रचनाकार) पिप्पलगच्छ की तालध्वजीयाशाखा के प्रवर्तक कौन थे, यह गच्छ कब अस्तित्व में आया, इस बारे में कोई सूचना प्राप्त नहीं होती।
जहाँ तक पिप्पलगच्छगुरुस्तुति में वडगच्छीय शांतिसूरि द्वारा विजयसिंहसूरि आदि ८ शिष्यों को पीपलवृक्ष के नीचे आचार्यपद देने और इस प्रकार पिप्पलगच्छ के अस्तित्व में आने के विवरण की प्रामाणिकता का प्रश्न है और यह सत्य है कि वडगच्छ में शांतिसूरि और उनके शिष्य विजयसिंहसूरि हुए और उनके द्वारा क्रमश: रचित पृथ्वीचन्द्रचरित२° (रचनाकाल वि०सं०११६१/ई०सन् ११०५) और श्रावकप्रतिक्रमण
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