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________________ अध्याय-७ १२९ वज्रसेनसूरि हेमतिलकसूरि रत्नशेखरसूरि पूर्णचन्द्रसूरि प्रेम (हेम) हंससूरि रत्नसागरसूरि हेमसमुद्रसूरि हेमरत्नसूरि सोमरत्नसूरि राजरत्नसूरि चन्द्रकीर्तिसूरि हर्षकीर्ति (सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रथमादर्शप्रति के लेखक) चन्द्रकीर्तिसूरि द्वारा रचित धातुपाठविवरण, छन्दकोशटीका आदि कई कृतियां प्राप्त होती हैं। इसी प्रकार इनके शिष्य हर्षकीर्ति भी अपने समय के प्रसिद्ध रचनाकार थे। इसके द्वारा रचित योगचिन्तामणि अपरनाम वैद्यकसारोद्धार, शारदीयनाममाला, अजियसंतिथव (अजितशांतिस्तव), उग्गहरथोत्त (उपसर्गहरस्तोत्र), धातुपाठ, नवकारमंत्र, (नमस्कारमन्त्र), बृहच्छांतिथव (बृहदशान्तिस्तव), लघुशान्तिस्तोत्र, सिन्दूरप्रकर आदि विभिन्न कृतियां प्राप्त होती हैं ।९ । गोपालभट्ट द्वारा रचित सारस्वतव्याकरण पर वृत्ति के रचनाकार भावचन्द्र भी नागपुरीयतपागच्छ के थे। अपनी उक्त कृति की प्रशस्ति° में इन्होंने अपने गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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