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अध्याय - ७
बृहद्गच्छ से उद्भूत प्रमुख गच्छों का एतिहासिक अध्ययन
अन्यान्य गच्छों की भांति बृहद्गच्छ से भी समय-समय पर विभिन्न गच्छों का उद्भव हुआ । इन गच्छों में जीरापल्लीगच्छ, नागपुरीयतपागच्छ, पिप्पलगच्छ, पूर्णिमागच्छ तथा मडाहडागच्छ प्रमुख हैं । इस अध्याय के अन्तर्गत इन्हीं गच्छों के इतिहास पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है ।
| जीरापल्लीगच्छ का इतिहास
बृहदगच्छ से अद्भूत पच्चीस शाखाओं में जीरापल्लीयगच्छ भी एक है । जैसा कि इसके अभिधान से स्पष्ट होता है जीरापल्ली? (राजस्थान प्रान्त के सिरोही जिले में आबू के निकट अवस्थित जीरावला ग्राम) नामक स्थान से यह गच्छ अस्तित्व में आया प्रतीत होता है । बृहद्गच्छीय देवचन्द्रसूरि के प्रशिष्य और जिनचन्द्रसूरि के शिष्य रामचन्द्रसूरि इस गच्छ के आदिम आचार्य माने जा सकते हैं। इस गच्छ में वीरसिंहसूरि, वीरचन्द्रसूरि, शालिभद्रसूरि, वीरभद्रसूरि, उदयरत्नसूरि, उदयचन्द्रसूरि, रामकलशसूरि, देवसुन्दरसूरि, सागरचन्द्रसूरि आदि कई मुनिजन हो चुके हैं। ___ इस गच्छ से सम्बद्ध साहित्यिक और अभिलेखीय दोनों प्रकार के साक्ष्य मिलते हैं जो सब मिलकर विक्रम सम्वत् की १५वीं शताब्दी से लेकर विक्रम सम्वत् की १७वीं शताब्दी के प्रथम दशक तक के हैं। किन्तु जहाँ अभिलेखीय साक्ष्य वि०सं० १४०६
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