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अध्याय-६
११३ मृगांकपद्यावतीरास, पद्य ४७८ वही मुनिचंद्रसूरिगुरुथुई, गाथा ५५ वादिदेवसूरि (मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), प्राकृत, वि० सं०
१३वीं पूर्वार्ध, साध्वी महायशाश्रीजी, संपा०
प्रमाणनय-तत्त्वालोक, भूमिका, पृ० १८-१९. मुनिचन्द्रसूरिगुरुस्तुति, श्लोक २५ वादिदेवसूरि (मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि०
सं० १३वीं उत्तरार्ध, प्रकरणसमुच्चय के अन्तर्गत
प्रकाशित. मुनिपतिचरित्र
हरिभद्रसूरि (जिनदेवसूरि के शिष्य), प्राकृत, वि० सं० ११७२, जिनरत्नकोश, पृ० ३११, जैनग्रन्थावली,
पृ० २२९. मेघदूतवृत्ति
लक्ष्मीनिवास (रत्नप्रभसूरि के शिष्य) संस्सकृत, वि०सं० १३वी शती, कापडीया जैन संस्कृत साहित्यनो
इतिहास, द्वितीय संस्करण, भाग २, पृ० ३३३ विक्रमपंचदंडचौपाई, मालदेव (भावदेवसूरि के शिष्य), मरु-गूर्जर, गाथा १७२५
जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृष्ठ ५५-६५, भाग ३,
पृष्ठ ३६२ और आगे. वैराग्यगीत
वही. यतिदिनचर्या
वादिदेवसूरि (मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), प्राकृत, वि० सं० १३वीं पूर्वार्ध, साध्वी महायशाश्रीजी, संपा०
प्रमाणनयत्त्वालोक, भूमिका, पृ० १८-१९. यन्त्रराज
महेन्द्रसूरि (मदनचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि० सं०
१४वीं उत्तरार्ध, प्रकाशित. यन्त्रराजटीका
मलयचन्द्र (महेन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि० सं० १४वीं उत्तरार्ध, मूलग्रन्थ के साथ प्रकाशित
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