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बृहद्गच्छ का इतिहास
हेमचन्द्रसूरि (वि०सं० १४९३-१५२१)
कमलप्रभसूरि (वि०सं० १५१८-१५२५)
पुण्यप्रभसूरि (वि०सं० १५०६-१५५०)
(६)
नरचन्द्रसूरि (वि०सं० १४७८)
वीरचन्द्रसूरि (वि० सं० १४८२-१५०७)
धनप्रभसूरि (वि० सं० १५२८-१५५१)
(७)
अमरप्रभसूरि
सागरचन्द्रसूरि (वि० सं० १४९२-१५१६)
रत्नचन्द्रसूरि (वि०सं० १५१०)
माण्डवगढ के एक जिनालय से प्राप्त वि०सं० १५५१ के एक शिलालेख में भी वादिदेवसूरि की परम्परा के कुछ मुनिजनों का नाम मिलाता है, २ जो इस प्रकार
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