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________________ एक एक कदम देख कबीरा रोया देख कबीरा रोया अस्वीकृति में उठा हाथ भारत के जलते प्रश्न भारत के जलते प्रश्न समाजवाद से सावधान समाजवाद अर्थात आत्मघात स्वर्ण पाखी था जो कभी अंतरंग वार्ताएं संबोधि क्षण प्रेम नदी के तीरा सहज मिले अविनाशी उपासना के क्षण अनंत की पुकार प्रश्नोत्तर नहिं राम बिन ठांव प्रेम-पंथ ऐसो कठिन उत्सव आमार जाति, आनंद आमार गोत्र मृत्योर्मा अमृतं गमय प्रीतम छवि नैनन बसी रहिमन धागा प्रेम का उड़ियो पंख पसार सुमिरन मेरा हरि करें पिय को खोजन मैं चली साहेब मिल साहेब भये जब तो हरिकथा बहु ऐसा दांव ज्यूं था यूं ठहराया मछली बिन नीर दीपक बारा नाम का अनहद में बिसराम Jain Education International लगन महूरत झूठ सब सहज आसिकी नाहिं पीवत रामरस लगी खुमारी रामनाम जान्यो नहीं सांच सांच सो सांच बहुतेरे हैं घट कोंपलें फिर फूट आईं क्या सोवै तू बावरी कहा कहूं उस देस की पंथ प्रेम को अटपट फिर पत्तों की पांजेब बजी मैं धार्मिकता सिखाता हूं, धर्म नहीं ओशो उपनिषद एक नई मनुष्यता का जन्म भविष्य की आधारशिलाएं विविध अमृत-कण अमृतवाणी कुछ ज्योर्तिमय क्षण नये संकेत चेति सकै तो चेति हसिबा, खेलिबा, धरिबा ध्यानम् धर्म साधना के सूत्र मैं कहता आंखन देखी जीवन क्रांति के सूत्र जीवन रहस्य करुणा और क्रांति विज्ञान, धर्म और कला प्रभु मंदिर के द्वार पर तमसो मा ज्योतिर्गमय प्रेम है द्वार प्रभु का अंतर की खोज For Personal & Private Use Only 313 www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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