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धर्म एक चुनौती है। और चुनौती सीख जायें तो कहीं से भी वह चुनौती मिल सकती है। उसके कोई बंधे-बंधाये सूत्र नहीं हैं। जीवन कहीं से भी आपको पकड़ ले सकता है। खुले रखें द्वार मन के। राह चलते, सोते, उठते, बैठते, सीखते रहें। लेते रहें चुनौती। किसी दिन चोट गहरी पड़ जाएगी और वीणा झंकृत हो जाएगी।
ओशो
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