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________________ प्रधान संपादकीय सत्तरमी शताब्दीना जयवंतसूरिनी एक अप्रकाशित रासकृति 'शृंगारमंजरी'ने प्रकाशित करतां आनंद थाय छे. आ प्रकाशनथी मध्यकालीन गुजराती साहित्यनी प्रकाशित कृतिओमां अक महत्त्वनी कृतिनो उमेरा थाय छे. आ ज कर्तानी बीजी अक अप्रकाशित रासकृति 'ऋषिदत्तारास 'नु' प्रकाशन अमे आ पहेलां सने १९७५मां क हतु परिणामे, मध्यकालीन गुजराती साहित्यमां जयवंतसूरिनु प्रदान शुं अने केवु छे तेनो ख्याल हवे आवी शकशे. शृंगारमंजरीनी समीक्षित वाचना तैयार करी, डा. श्री कनुभाई शेठनो हु आभार मानु छु पीओच.डी.नी उपाधि प्राप्त करावी आपी छे. आ कृतिना प्रकाशनमां आर्थिक सहाय करवा बदल भारत सरकारना शिक्षण अने समाजकल्याण (सांस्कृतिक विभाग) नो हुं हार्दिक आभार मानु छु. ला. द. भा. सं. विद्यामंदिर, अमदावाद - ३८०००९ १, जान्युआरी १९७८ अभ्यासपूर्ण प्रस्तावना लखो आपवा बदल आ संशोधनकार्ये तेमने गुजरात युनिवर्सिटीन Jain Education International For Personal & Private Use Only नगीन जी. शाह अध्यक्ष www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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