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शृंगारमंजरी ६७. जिम जल पाखइ माछिली, तलावेली थाइ (१६३२३1४) ६८, मेहि जवासु सींचता, सूकी झंखर थाइ (१६३२/३1४) ६९ गोरी यौवन तिम गलई जिम कर जल टीषेण (१६४३३।४) ७०. तु धोरि-सिरि भार जिम, अध वचि नवि महेलइ (१६६३३१४) ७१. अण बुठि मेह गांजति किम धरइ चातक रंग (१६६५३1४) ७२. मणि पइ ठेली काच कुग मुरखि आणइ चित्ति (१६७२)|३]५) ७३. गोरी खूटा कार्राण, अब न सफल कपाइ (१६८३१२) ७४. भर भाद्रवडइ मोर जिम, मेह देखी कींगाइ (७०२1३1४) ७५. साकर 'दुघई स्यु मिली, सोनु हत् सुगध (१३|३|४) ७६. आंबा लागाड इखुइ, कहु कुण मूल कांति (१७१४]३]४) ७७. धर धोरी-सिरि भार जिम, निरवही लीइ जडिती (१७३।३।४) ७८. सज्जन तणु सनेहड, जिम जेठई उधाण (१७३८1३।४) ७९. जण हासु मन उरतु, बिरि दहइसि देह (181४1२३) ८०. घर बाली कीरति करइ, ते माणसडां अकज्ज (१७६५३1४) ८१. ' छासि संयोगि दूध जिम, दहीं-रस अधिक सधाइ(१७६७३६४) ८२. 'वाइ उल्हाई दीवडउ अगनि अधिकेरु थाइ (१७६८३४) ८३. नेहइ-बंधा माणसा, ते तु दुषण जोवा अंध कि (१७८०1३1४) ८४. पंय छडंइ महुरप्पण, छासि ज साथि भिलन (१८६५1१२) ८५. छाली संयोगइ दुध जिम, दहीं-रस अक भलंति (१८६८३1४) ८६. रानी कांबधोनी परइ, कीजइ प्रीति सुयंग (१८७५८३1४) ८७ लुणह-पाणी होइ मिलिया, कीघा जुआं न थाई (१८९९1112) ८८, घण पइठउ जिम अबमां, सूकी झीणां हुति (१९००1३1४) ८९, जस खोलई शिर मूकीउ, ते कां छेदी जाइ (१९९२/१२) ९०. अख न हुइ आकडु राइणि नुहइ निंब (१९०४१२) ९१. भागी डाल म वलगीइ नवि कीजई अंदाह (२०१४११२) ९२. सगपणि वाहालू को नथी, वाहाल स्वार्थि प्राणी रे (२०५४/१२) ९३. वृष्टि हवी विण आभले. इष्ट कहिउ वैधि रे (२७५११२) ९५.' बिख अनई वली वघारीउ, लींबढे चडी कारेली (२०६४/१२) ९५. मांजर नई पइ पय भालवि, वादरा वाडी मांहि (२०६५111) ९६. ते शील-सायर सोसवा, घट-पुत्र सरखा धाइ (२०६५/७/८) ९७. अंध न जां किंहिं आफलाइ, तां नवि आबइ शांन (२०९२३४) ९८. सरोवर जिम आसाढथी, बेहु कंठई पुराइ (२१७१1३1४) ९९. । ओबा-फलनी आसडी, न टलइ अक्क फलांइ (२१७१1३1४) १००. किहां सूरय गयणंगणि, किहां जलि पंकज बन्न (२१००1३1४) १.१ पय ऊभरातू तव रहइ, जव पामई जल योग (२२७५३४) १०२. स्वारथि सहु का दीसइ वाहालू, कोइ न सगू सहाइ रे (२३४८1१1२) १०३ वैया विण नवि छ्टीइ, कीधा पुरव पाप (२४६६[१४)
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